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अनुसन्धान-७२
मारी थी तन मारी थी, कुंवारी थकी सारी थी अबै मारै मुजकुं तो, मोटी वदुं तुजकुं... [हांडी] इक नारि इण नगर मझारे, खाइ मण दोइ च्यार, पग छ ने चाले चिहं, आंख च्यारि ने देखे बिहं... [घाणी] एकै उपरि दोइ तल, संकट आइ नारि, करण हीयाली पाठवी, राजा भोज विचारि... [इंढोणी] ऊंटोके है बेसणे, चीतां जेही फाल, अरथ न कहसी इहy, ते लेसी पंचा गाल... [मींडक] नामें सुनी रंगे काली, करे गामांतरो न हीडै पाली, खाली पेटै चरै, पंडित पुन्य हीयाली करै... [सोपारी] हीयाली तो तेहने कहीपै, जेहनें हीये हुवे ग्यान, एक पुरुष में जातो दीठो, तेहनें माथै कान... (?) मुखई पाणी पीवै, पर हथ करै विहार, करण हीयाली पाठवी, राजा भोज विचार... [लेखण] एक नारी नवरंगी चंगी, कहै तसु कूड जाय, पाणी विना तिरंगी दीठी, जग मीठी ते जाय... [जलेबी] एक नगरी में छै बहु रावला, तिण नगरी में नही वाणीयो, सोइ ज नगर प्राकारे छायो, प्रगट पिण कहीयै जाणीयो... [मंकोडानुं घर] छ चलणा दो लोयणा, तिहं खंधे सरीर, नगरीमांहि भमत है, दीठो कवण सु वीर... [मंकोडो] अंबर अडै न धर पडै, जननी जने न तास, चंद-सूर देखत मरे, कवण पंखेरु भास... [बादल] एक पुरुष सांवलौ, फरै नव नव वेस, मनि कवण ते जाणीयै, वाचो देस विदेस... [?] एक हीयाली हुं कहुं, सुणि रे भाइ पोपला, एक संखरे तीनफल, गुल-राइ नें कोकला... [छोतरा, दांणा, अमल] जाली जलै न जल में बुडै, तोली टांक न होइ, पूरब पछिम उत्तर हवै, दक्षिणा दिस न होइ... [छांह]