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________________ ओक्टोबर-२०१६ २९९ फाईन आर्टस् कोलेजना मारां विद्यार्थीओने लईने गयो हतो. घरमां बधां समाई शके एटली जगा न हती. एटले घरनी बहार चटाई पथरावी राखी हती. पछी बधां साथे मुक्तमने वातो करी हती. ___ढांकीसाहेबने जो एक वखत जणावी दीधुं के आवीए छीए एटले ए राह जोईने ज बेठा होय. अमारी (के अन्यनी) आवभगत माटेनी बधी व्यवस्था करी होय. अमे सहेज मोडां पडीए एटले एमना फोन आववा लागे. पछी अमने मोडे मोडे समजायेलुं के ज्यारे साहेबने मळवा नीकळता होइए त्यारे ज फोन करवो. ए पहेलां एमने आगोतरुं जणावq नहीं. मळवा आवनारने मळे त्यारे क्यारेय नरी औरचारिकता एमनामां जोई नथी. एमनी सहज हेतप्रीतथी सौने मोकळाशनो अनुभव थतो. मारे एमने मळवा जवानू थाय त्यारे एकाद-बे पुस्तकोनी दुकानो पर लटार मारवानो लोभ थाय. अने एम जउं पण खरो. एटले साहेब कहे पण खरां के आ छोकरो घडीकेय ठरीने बेसतो नथी. ४. बने के गोत्र अमारुं एक हतुं : कळा ने साहित्य. सम्मति के असम्मति बेउनो उद्गम आ एक जगाए. मोटेभागे तो असम्मति ज रहेती. मने ए मोर्डनियो गणता ने हुं चूपचाप मलकतो रहेतो. एनुं कारण ए के चित्रकळानो हुँ विद्यार्थी. वडोदरा फाईन आर्टस्मां अभ्यास करतो हतो त्यारे ने ए पछी पण अभ्यासना भाग रूपे के सहज जिज्ञासाथी प्राचीन अने मध्यकालीन कळानो इतिहास उथलाव्यो हशे. एमां खपपूरती जाणकारी. आधुनिक समयना कळाप्रवाहो विशे वात करवानी थाय तो अधिकारथी केटलुक बोली शकुं एटली फावट. एटले एमनी तज्ज्ञताना विषयोमा हुं लगभग निरक्षर. जोके एमनी साथे जे वातो थाय एमां खास तो होय जीवन, साहित्य, कळा अने संगीत. अमारे मतभेद होय तो तेओ मार्छ लगाडे नहीं. चित्रकळामां हुं चारकोल अने पेस्टलना माध्यममां ज चित्रो कलं. एटले एमनी एक सलाह तो होय ज : "दीकरा, कोयलानी खाणमांथी बहार नीकळ ने रंगोमां काम कर !" अने हुं वळतो जवाब आपुं "साहेब, हुं कोयलानी खाणमांथी ज हीरा लावी आपीश." क्यारेक नटुभाईने पण कहे, "आ छोकरो रीयालिस्टीक काम करी शके छे. एनो हाथ सारो छे. पण मानतो ज नथी."
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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