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________________ २८४ अनुसन्धान-७१ लघुपुस्तकोमा लेखक जे ते तीर्थना इतिहास अने माहात्म्य विशे तेमज त्यांनी कला-स्थापत्य प्रवृत्ति अंगे श्रद्धेय माहिती उत्तम गुणवत्तानां चित्रो साथे आपे छे. लेखक अहीं व्यापक मान्यता धरावती खोटी दंतकथाओ अने विगतोनो पण निरास करवानुं चूकता नथी. केटलांक पुस्तकोमा लेखके देवालय-स्थापत्यनी परिभाषा पण संपडावी आपी छे, एटले एमां अपायेलां चित्रोनी मददथी कोई मन्दिर-स्थापत्यनो अभ्यास करवा मागे तो करी शके : आ एनो एक विशिष्ट उपयोग थयो. अस्तु. आ पुस्तको जनसाधारण माटे लखायां छे ते बतावे छे के ढांकीसाहेब लोकप्रिय ढबनां ने छतां अधिकृत लखाणो लखवामां पण एटला ज कुशळ हता. ढांकीसाहेबे एक अगत्यनो लघुग्रन्थ प्रभाशंकर सोमपुरा साथे प्रकाशित कर्यो छे-दुर्ग विशे. अद्यापिपर्यंत कोई पण प्राचीन के मध्ययुगीन ग्रन्थमां कोट-किल्लाना बांधकाम विशे निःशेष विवरण जोवा मळतुं नथी. आ पुस्तकमां लेखकोए प्रकाशित तेमज अप्रकाशित एम बन्ने प्रकारना साहित्य, निमज्जन करीने दुर्गप्रकारादि विशे एकठी करेली विगतोने वर्तमाने विद्यमान दुर्गस्थापत्य साथे सरखावी तपासी छे. आ ग्रंथमां चार प्रकरण छ : पहेला प्रकरणमां किल्लासम्बन्धी साहित्यिक सन्दर्भो छे, ज्यारे बाकीना त्रणमां एना प्रकार्य, प्रकारो अने एना वास्तुविधान अने विन्यासनी चर्चा छे. आमांथी मोटा भागनां अवलोकनो ढांकीसाहेब जेने मारुगुर्जर कहेता ते शैलीमां रचायेला दुर्गाने लगतां छे. आ पुस्तकथी प्रसन्न मोतीचंद्रे एनी प्रस्तावनामां आशा सेवेली के प्राचीन अने मध्ययुगीन नगरोने लगती माहिती पण आपणी पासे नहींवत् होवाथी आ लेखकद्वय दुर्गोनी जेम ज नगरो विशे पण ग्रन्थ आपे. अलबत्त, मोतीचन्द्रनी आ महेच्छा पूर्ण थई नहीं, अने आ काम आजे पण सुयोग्य विद्वानोनी राह जोतुं ऊभुं छे. प्रभासपाटणनां प्राचीन जिनमन्दिरो, विशेष करीने तो एमां अपनावायेली, हवे आंतरविद्याकीय अभिगमथी जाणीती बनेली, पद्धतिने कारणे खास नोंधपात्र छे. प्रभास बेशक एक खूब महत्त्व- शैव तीर्थ हतुं, पण ए अगत्यनुं जैन तीर्थ पण खरं. जैन साहित्यमां आपणने प्रभासक्षेत्रनां जिनमन्दिरो विशे आडकतरी, संक्षेपमां अने अस्पष्ट माहिती मळे छे. अभिलेखोनी अने साहित्यनी सूक्ष्म
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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