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________________ जुलाई-२०१६ २७ पुत्रो बे, तेमां मोटानुं नाम प्रतापसिंह; जैत्रनां मातामह कान्हडमन्त्री, वस्तुपालना काका तिहुणपाल, फोई केलिका; वस्तुपालना ससरा कृष्णदेव, सासु राणू (?) - आवां बधां स्वजनोनो परिचय आमां मळे छे. भरूचमां पित्तलमय स्नात्रप्रतिमा कराव्यानो उल्लेख एटला माटे नोंधपात्र छे के अन्यत्र प्रबन्धोमां, थामणाना आ. मल्लवादीना कहेवाथी, मन्त्रीए भरूचमां सोनानी स्नात्रप्रतिमा कराव्यानो उल्लेख छे. 'पेटलाद' - पेटलापद्र ए नाममां 'पेटला' ए त्यांनी पादरदेवीनुं नाम होवानुं तथा ते देवता- मण्डल मन्त्रीपुत्र जैत्रे कराव्यानुं पण आमां जाणवा मळे छे. नगरा ए खम्भात-समीपनुं क्षेत्र (हाल नानुं गाम) छे, अने त्यां मन्त्रीए करावेल सूर्यमन्दिर अत्यारे पण विद्यमान छे. देवालयोना निभावनी आवक माटे घर, दुकान, मठ वगेरे बनावी अर्पण करवानी प्रथा हती, ते पण अहीं जाणवा मळे छे. कोई युद्ध भयानक होय, शत्रु जोरावर होय अने मन्त्री पर जीवनुं जोखम होय, त्यारो कोई सेवक पोताना इष्टनी मानता माने अने पोतानुं मस्तक कापीने चडावी दे - तेवी आत्यन्तिक श्रद्धा-प्रथानो प्रसंग खूब नोंधवाजोग छे. आजकाल पोताना इष्ट नेता-अभिनेताना कारणे अनेक जनो आत्मविलोपन करे ज छे, तेनी तुलनामां आ प्रसंग वीरतानो, वफादारीनो तथा भक्तिनो मानवो पडे, आजना जेवी अन्धश्रद्धानो नहि. जिनालयमां 'खत्तक'मां पोतानी (दातानी) मूतिओ मूकवानो रिवाज हशे ते पण जाणी शकाय छे. मन्त्रीए पोतानी ज नहि, नाना-मोटा भाईओनी तथा पुत्रनी पण मूर्ति मूकावी होवानुं अहीं वर्णन छे. अहीं वस्तुपाल सम्बन्धी प्रशस्तिनी वात पूरी थाय छे. पत्र २मा ४४मा पद्यना अन्तिम अंशथी ५९मा पद्य सुधीनो प्रशस्ति-लेख छे. मतलब के १-४३ पद्यो वाळो अंश त्रुटित छे. पद्य ४५मां आशाधर अने गौरदेवीनां नाम छे. ४६-४७मां तेना अनुज-भाई सोमसिंह अने तेनां पत्नी जयतलदेवीनां तथा तेना पुत्र अर्जुन अने आल्हणदेवीनां नाम छे. आ सोमसिंहे, अणहिलपुर पाटणमां पोताना पूर्वज राणिग सचिवे करावेला अष्टापद (अष्टापदावतार चैत्य ?)नो मण्डप, पोतानां माता-पितानी तथा अम्बिकानी मूर्तिनी स्थापना करावी. तेमणे, पौ(पो)रबन्दरमा पूर्वदिशाना सीमाडे जल भरेली परब करावी. आ ज (गिरनार) तीर्थमां नेमि-चैत्यना रङ्गमण्डपमां, पोताना पूर्वजनी मूर्तिवाळा बे स्तम्भो कराव्या. नेमिनाथनी देरी पण करावी, तेमां मध्यमां नेमिनाथनी, जमणे माता-पितानी अने डाबे पोतानी-पति-पत्नीनी युगल मूर्तिओ मूकावी. त्यां
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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