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________________ ७० अनुसन्धान-६९ जोतूं हरपुर तणों सघात, पूछइ सदेसांतरी बात; इसइ अवसर वनमांहि ठाम, नगरनायका आवी ताम... ५० दीठी नारि रूपं अतिसार, दीठो पुरिसो सोना तोखार; लोभ लगइ तेहनी मति फिरी, कूडी माया मांडी खरी... ५१ तुम्हे माहरइ भउजाई च्यारि, उठो आबो नगर मोझर; तुम्हे तेडवा आवी सही, भाई अम्ह घरि बइठो जई... ५२ अहवी कूडी बुधि बहु करी, च्यारि श्री आणी अपहरी; लेई आई घरि आपणइ, तउ ते नारि प्रति इम भणइ... ५३ रहो अम्ह घरि पुरुष छइ बहु, जे जोइओ ते देसूं सहू; वयण सुणी श्री चिंति तेह, नगरनायकानुं घरि ओह... ५४ अह घरि नटवर आविं घणा, निपर अचार अछइ अह तणा; ओम जाणी घरि महि जई, दीधा बार तिणें निहचल थई.... ५५ ॥ दूहा ॥ नगर जोईनई आवीयो, कुंवर आंबा हेठ; नारि तउ देखा नही, जोवइ दह दिस द्रेठ... ५५ मन चिंतइ कारण किसुं, कुणइ हरीय ते बाल; पग जोईस तेहना, धरीय बुध सुविसाल... ५६ तउ आखिं अंजन करी, चाल्युं नयर मझारि; पग जोतो नारी तणा, पहुतो वेस दुवार... ५७ ॥ चउपई ॥ पग जोतुं वेस्या घरि गयुं, विद्या प्रभाव अदृष्टिउ थयु; नारी तणी सुध लाधी खरी, सही ओणी वेस्या अपहरी... ५८ सुध जाणीनइं पाठुं वलुं नारि विरह मन माहि टलुं; गजसिंघ राई बुध मन धरी, विप्र वेस नव ततखिण करी... ५९ खंध जनोई कर टीपणुं, निमत्त वात मुख भाखइ घणुं; विप्र थई तेहनि घरि गयुं, आवतउ वेस्या पेखीयुं... ६० वेस्या आदर कीधुं बहुं, निमत्त बात ते पूछइ सहू; लग्न मंडाव्यो तेणी वार चिंता छइ अम्ह ओक अपार... ६१
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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