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________________ अनुसन्धान-६९ सुणी वयण सय हरखीउ कुमरि, नगर मांहि हूवो जयकार; पुन्य करी अ पाम्यो राज, पुन्थे सीधा सघला काज... ९७ पुनें सुर-नर सानिध करइ, पुनें नर भवसायर तरइ; .. दसरथ नयर हूवो उछाह, राज करइ तिहां गजसिंघ राय... ९८ सात नारि सिउं सुख भोगवइ, नमिकुंजर कवि अम कहइ; च्यारि खंड बुध वहु करी, अतलई नवनारि तिण वरी; संघ तणी जउ अनुमति लहइ, कथा खिणंतर कवियण कहइ... ९९ ॥ इति श्रीगजसिंघरास तृतीयखण्ड सम्पूर्ण ॥ ॥ वस्तु छन्द ॥ राउ गजसिंघ राउ गजसिंघ मनह चिंतत, विद्याधरी आq लई अवधि कहीनइ मेलीय, राज भलाव्युं मंत्रनई ताम कुमर बहु रंगि चालीया, मास दीह मांहि आविसं कह्यो प्रधाननइ भेउ, गिर वैताढ विद्याधरी हूं लेई आq तेह... १ ॥ चउपई ॥ राज भलाव्युं मंत्री पासि, चलिउ कुमर मनह उल्हास; . विद्यातणइ प्रभावें करी, गिर वइताढ भणी संचरी... २ गिर पासइ छइ प्रवर प्रसाद, सुरगिरशुं ते मांडइ वाद; दंड कलस धजा लहलहइ, तोरण मंडप अति गहगहइ... ३ तिण भवने आव्यु कुमार, दीठो जष अनोपम सार; धूतारा बईठा तेह मांहि, तिण बोलाव्यु कुमर उछाहि... ४ मान दीजे ते नर अति घj, आसण दीधुं तव आपणुं; विण सगपण मुख जंपइ भाय, घणे दिवस अम्ह कीध पसाय... ५ च्यारि धूरत बइठा तेउ, कुमर न जाणइ तेह- भेउ; कूड बुध तेह मन सहि धरइ, पापी मुखि माया बहु करिई... ६ ॥ दुहा ॥ मुख बोलत कोमलपणइ, वाणी सीतल होय; हीयो धार करवत जिसं, धूरति लखण जोय... ७ पपई ॥
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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