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________________ मार्च - २०१६ जोवइ वन ते दह दिस फिरी, नर साथि दीठी कुंवरी; जण साहवा कारण धाईया, कुमर आवंता बोलावीया... ३५ जण जंपइ कुमर अजाण, आज सही तूं चूकसि प्राण; गजसिंघ कुमर ते प्रीछी वात, आव्यो सही अहतणो तात... ३६ मुझ कन्हलि विद्या छइ वडी, सिधपुरुष आपी जे जडी; मुझसिउ जउ से जुडइ आज, तउ तेह राख्यानु केहो काज... ३७ ते ऊषधीनइ करी प्रणाम, झुझ कारणि सज थयुं ते ताम; तव लीधुं कुंवरि करवाल, पूठइ राखी अबला बाल... ३८ राय हकार्या जण आपणा, झुझ कारणि सज्ज हूवा घणा; हाक देईनइ साम्हा थाय, किहां जाय रे रूठो राय... ३९ कुमरि भणइ निसुण रे राय, सूतो सींह जगाव्यो आय; ताहरा दलनुं काढुं मूल, उडाईं जिम आकह तूल... ४० . ॥ छंद ॥ जयसिंघ-राय-कुल-कमल-दिणेसर, उगम लगइ सदा अलवेसर, भुज-बलि भिडतां किमई न भजइ, साहसीक इक नामह छजइ... ४१ जयवंतउ भड. भडवा लगो, चउपट मल्ल चउसाल, तव धायो धूवड(?) धसमस करतुं, कर लीधुं करवाल, नीय तेजइ दीपइ रणिह न थिपइ, वाणी गहुर रसाल, मही मंडल मंडइ कुमर महा भड, मोडइ मुछ विसाल... ४२ ओक नयणिह डारइ अक न वारि, ओक हांक्या सवि डरइ, अक तेजइ नासइ तिमर विणासई, जिम ऊगमति सूर, अक कायर कंपइ दीणह जंपइ, छीपइ तेहना वीर, इम झुझ करंतां सडसड, सुडइ, कुमर साहसधीर... ४३ जे पग धरंतां कर सरमंतां जे कुंतिहि झुझंति, जि किम्हेइ न चूकइ तीन दिस भव कइ धीरह तुष धरंति, जे गयवर मारइ काढइ काढी रहइ जे व्रत कहुं ते च्यारि, ते सघला नाठा कुमरि, नवि दीठा नासी गया पारि... ४४ इम झूझ करंतां रण रमंतां, नवि लगि हथियार, तें महिमा निसुणो ऊषध केरो, पुनइ करइ जयकार,
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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