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अनुसन्धान-६९
* रांदेरगामथी भगवानभाई तथा तेमना पुत्र नानाचन्दभाई, खुस्याल हरखचन्द
झवेरीजी. * अंकलेश्वर गामथी झवेरी देवचन्दभाईना.पुत्र आव्या हता. प्रतमां अंकलेश्वर गाम माटे 'अकलेसर' शब्दनो प्रयोग कर्यो छे. १३मी शताब्दीमां 'अमलेसर' अq नाम हतुं जे त्यारबाद आ १८मी शताब्दीमां 'अकलेसर'. नाम थयुं हशे, जे हाल अंकलेश्वरना नामे ओळखाय छे. * माटेड गामथी गुणन्यालजी, देतराल गामथी खुस्यालभाई, तथा मीठाभाईनो पुत्र रेवाभाई पण आ सङ्घमां यात्रा करवाने पधार्या हता.
आ लोकोओ भेगा थईने कारतक वद सातमने सोमवारे सङ्के प्रयाण
प्रतमां का छे के, "माजिन सहु भेल्यो, मिल्ये साजिन लेई सङ्घात" - अर्थात् दरेक गामना साधर्मिकोने लई सङ्के भरुच बन्दरथी प्रयाण कर्यु. सङ्घनिश्रादाता :
कारतकवद सातमने सोमवारथी शरु थईने आ सङ्घ मागशर सुद-९ना दिवसे भरुच पाछो फर्यो. लगभग १६ दिवसनो नीकळेल आ छ'री पालित सङ्घमां पंन्यासश्री प्रेमविजयजी म. ओ गुरु तरीकेनी निश्रा आपी हती. अने तेमनी साथे श्रीभाग्यविजयजी म., श्रीऋद्धिसागर म. आदि गुरु-भगवन्तोओ निश्रा आपी हती. स्तवनमा जणाव्या अनुसार २५ साधु-साध्वी भगवन्तोओ आ छरी पालित सङ्घमां निश्रा आपी हती. आम, साधु-साध्वी, श्रावक, श्राविका आदिथी शोभतो चतुर्विध सङ्घ भरुचथी नीकळ्यो. आ सङ्घमां बत्रीश गाडाओ पण हता. प्रथम दिवस सं. १८७४, कारतक वद ७ सोमवार ता. १/१२/१८१७ :
तेओनुं प्रथम प्रयाण थतां प्रथम मुकाम कर्मांड नगरनी बहार कर्यो.
कर्मांड गामना श्रावको सङ्घ आव्यानी जाण थतां खुश थई गया अने गामना श्रावको - हर्षनागरजी, तेमना पुत्र दुलभ सोमचंद तथा लक्ष्मी अने वनमाली, दुला, अम्रचन्द, मोतीलक्ष्मी अने तेमना पुत्र दयाल तिलकचंद, प्रेमलक्ष्मी तथा तेमना पुत्र देवचंदजी, गलालभाईना त्रण पुत्रो दुर्लभजीना पुत्र हीराचंद, मोती मूलजी, पानाचंदभाई आदि बधा साथे मळीने सङ्घदर्शन करवाने