SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७२ अनुसन्धान-६६ आवरणचित्र-परिचय सरस्वतीदेवीनी प्रतिमा . दक्षिण गुजरातमां प्राचीन झघडियाजी तीर्थ छे. त्यांना भव्य जैन मन्दिरमा रङ्ग-मण्डपनी बहार चोकीमां निर्मित २ पैकी १ देवकुलिकामां आ प्रतिमा प्रतिष्ठित छे. आ प्रतिमा ऊभी प्रतिमा छे, अने ते वीणापुस्तक-कमलधारिणी भगवती सरस्वती देवीनी प्रतिमा छे. १२मा शतकनी आ प्रतिमानी आकृति अत्यन्त सोहामणी, दिव्य, नयन-मनो-वल्लभ छे. प्रतिमाना २ हाथमां कमलपुष्पो छे, जमणो हाथ वरदमुद्रामां छे, अने डाबा हाथमां नानीएवी पोथी छे. तो पग पासे हंस पण जोई शकाय छे. जोके त्यां तो आ प्रतिमाने 'चक्रेश्वरीदेवी' तरीके ओळखवामां आवे छे. 'सरस्वतीदेवी' होवा छतां, अने ते तरफ ध्यान दोरवा छतां, त्यां तेनी ओळख बदलवा कोई तैयार नथी. तेना पर लखेल अक्षरोलेख सुवाच्य छे, अने ते आ प्रमाणे छे : "सं. ११२० माघ सु. १४ श्री पृथ्वीपालेन कारिता ॥" स्वयंस्पष्ट आ लेखने त्यां आ रीतें उकेलवामां आव्यो छ : "१२०० वर्षे, पालेज" ॥ अने आ ज प्रमाणे त्यांना आधुनिक शिलालेखोमां तेनो परिचय पण आलेखायेलो जोवा मळ्यो छे. इतिहास विकृत शी रीते थाय, ते आ उदाहरणथी समजी शकाय तेम छे. ___ भवतु. पण अमारे तो आ वर्षे आ दिव्य सरस्वती-प्रतिमानां दर्शन थवाथी, अमारी तीर्थयात्रा सफल थई गई ! प्रथम आवरण पर प्रतिमानी तसवीर, अने चोथा आवरण पर ते प्रतिमानी पलांठी पर उत्कीर्ण लेखाक्षरोनी तसवीर आपेल छे.
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy