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________________ फेब्रुआरी - २०१५ अज्ञातकर्तृकं वैराग्यकुलकम्॥ - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि खम्भातना शान्तिनाथ ताडपत्रीय ग्रन्थभण्डारनी, विविध लघुकृतिओने समावती १३३मा क्रमाङ्कनी पोथीमां क्यारेक जोवा मळेली आ लघु रचना, ते वखते उतारी लीधेली. कोईक तीव्र वैराग्याभिलाषी व्यक्तिनुं मनोमन्थन आमां बळकट अने हृदयवेधी रीते रजू थयुं छे. एनो सार तारवतां आ रचना एक वैराग्यप्रधान रचना होवानुं कही शकाय. श्रीपुण्यविजयजीए वैराग्यकुलक' ए नामे आने ओळखावी छे. १-११ गाथाओमां वैरागी जीव पोताना चित्तमां जागता विविध धर्ममनोरथोने वर्णवे छे. आ मनोरथोमां तेमना हृदयनी उच्च चारित्रपालननी तीव्र झङ्खना प्रतिबिम्बित थई छे, जे भारे प्रेरणात्मक छे. ११मी गाथामां कर्ता पोताने 'सत्त्व विनानो' गणावीने 'मात्र मनोरथ कर्या करनार, पण पापमां ज उद्यमी' एवो पोतानो अन्तरङ्ग परिचय आपे छे. चित्तशोधननी आ विरल प्रक्रिया लागे छे. १२-१९ गाथाओमां कर्ता, बाल्य अवस्थामां ज, संसारनी जंजाळथी सर्वथा . अजाण एवा जे जीवोंए, संसार त्यज्यो छे, संयमपंथ अपनाव्यो छे, तेनी उत्कट अनुमोदना करे छे. २०-२७मां पोतानी निर्माल्यताने आकरी रीते वगोवे छे - वखोडे छे. तो २८-३४मां 'जो ते समये हुं पण चेती गयो होत, संसारथी विरमी गयो होत तो...' आ शब्दोमां पोते नष्ट करेली पोतानी ज सम्भवित सम्भावनाओने कर्ता कोसे छे. अने छल्ले ३५-३९ गाथाओमां उपसंहाररूपे कर्ता लखे छे के 'जेओ मूढ छे अने बचपणमां श्रमणजीवन नथी अपनावता, ते लोको पोताना आ भवने वेडफे छे, अने परभवने बरबाद करतां संसारना कळणमां डूबी मरे छे.' '.. अत्यन्त चिन्तनप्रेरक अने वैराग्यपोषक कृति. १३मा सैकानी पोथीमां ते लखायेली छे. तेना कर्ता अज्ञात छे. ता कइया तं सुदिणं सा सुतिही तं भवे सुनक्खत्तं । जम्मि सगुरुपरि(र)तंतो चरणभरधुरं धरिस्समहं ? ॥१॥ अज्जं चयामि कल्लं चयामि भवसयनिबंधणं रज्जं । गिहामि य परमपयक्कहेउ सव्वन्नुणो दिक्खं ॥२॥ .
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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