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जुलाई - २०१४ समाप्ति सूचवे छे. प्रान्ते पुष्पिका छे.
प्रत्येक हदना प्रान्ते तेमज छेवटे जे पुष्पिका लखाई छे तेमांथी फलित थता मुद्दा : त्रिदशतरङ्गिणीनो आ अंश छ अन्तहदयुक्त एक महाहदरूप छे; आ पत्र- पूरुं नाम पर्युषणामहापर्वविज्ञप्तित्रिदशतरङ्गिणी एवं छे; गुर्जरगुजरातनुं नाम गूर्जरावती होवानो उल्लेख ऐतिहासिक तेमज भाषाकीय दृष्टिए महत्त्वपूर्ण छे; गूर्जरावती परथी गुर्जरावत-गुजरात एम थई शके; आ स्रोतमां गुर्जरदेश, तेना राजा, तेमज पत्तननगर आदिनुं वर्णन करवामां आव्युं छे; ते प्रवाहमां आ अंशमा छ जिनचैत्योनां स्तवात्मक बन्धचित्रो आलेखायां छे; 'स्वस्वदेव' नो मतलब जे ते चैत्यगत मूलनायक मुख्य जिनदेव एवो जणाय छे; पत्तन- वर्णन करवानुं होवाथी अहीं, पहेलां आदिनाथनी स्तुति न करीने पाटणस्थित पंचासरा पार्श्वनाथनी स्तुति करी छे.
__ आ समग्र वर्णनमां चैत्योनी बांधणी अंगे जे क्रमे जे जे अङ्गो दर्शाव्यां छे. तेने एकत्रित करीने कोई शिल्पी द्वारा चैत्योनां चित्र के नकशा करावी शकाय के केम? अथवा ते वर्णन अनुसार ते ते स्थापत्यकीय आकृतिआधारित काव्य-चित्र बनावी शकाय के केम? ते तो ते विषयना विशेषज्ञोनो ज विषय बने छे. आशा छे के कोई मर्मज्ञ आ बाबत पर पोतानुं ध्यान केन्द्रित करशे, अने कांईक सर्जनात्मक आपशे.
आटलो अंश मळ्यो ते पण आपणुं सद्भाग्य ज गणाय. मो.द.देशाईए, जो के, एमना अगाऊ टांकेला अवतरणमां नोंध्यु ज छे के "प्रासादादिचित्रबन्ध केटलांक स्तोत्रो अहींतहीं छूटां मळे छे'. परन्तु आ अंश पण बीजा क्रमाङ्कवाळा स्रोतनां मङ्गलाचरण जेटलो ज गणवो जोईए. ते पछीना नगरादिवर्णननो दीर्घ होवानी शक्यतावाळो हिस्सो तो हजी अप्राप्य ज रहे छे. आपणा अनेक भण्डारो पैकी क्यांक ते हिस्सो दटाईने पड्यो होय तो ते बनवाजोग छे. .. आ अंशमां केटलांक स्थान सन्दिग्ध के अशुद्ध पण छे, जे लेखनदोषना कारणे जणाय छे. छतां महदंशे ते शुद्ध छे ते जोई शकाय तेम छे. - आ पत्रांशनी प्राप्ति तथा प्रकाशन ए विज्ञप्तिपत्र-विशेषाङ्कनां घरेणारूप छे.. आवं अमूल्य घरेणुं सम्पादन माटे उपलब्ध कराववा बदल मुनिराज श्रीधुरन्धरविजयजीनो आभार मानीए तेटलो ओछो छे. तेमने विनवीए के आ
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