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________________ - २५६ अनुसन्धान-६४ बीकांणैजी पधारो अपणौ गुरु क्षेत्र संभारो हो स० । मरुधरदेस छे सूधो इहां आवी संघ प्रतिबोधो हो स० ३॥ .. भवीयण जोवै छै वाट पूज आयां हुवै सहु थाट हो स० । . गछपतिनौ वडै भावै सहु संघ सदा गुण गावै हो स० ४॥ मिल मिल बाली भोली सहीयरनी आवै टोली हो स० । गुरुवन्दनकुं आवै गुंहली करी नित ही वधावै हो स० ५॥ . सहु हरखै नरनारी सद्गुरु उपदेस संभारी हो स० । । हिवै तौ वैगा पधारो गुरु भवीयणनै निसतारो हो स० ६॥ सहु संघ पूरोजी आस्या गुरु गछपतिना गुण गास्यां हो स० । गुरु छो गछना राजा वाजै छै जसना वाजा हो स० ७॥ .... तिण देसै मति राचो गुरुनौ छै उपदेस साचो हो स० । पधारो मरुधरदेसै संघ जोवै छै वाट विसेसै हो स० ८॥ गछपति छो महाराजा सारो गुरु सहुना काजा हो स० । विनति एह सहु संघनी कवीयणना मुखथी वरणी हो स० ९॥ इति वीनती ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ वीरजी दीयै छै देसना रे - ए चालमै ॥ श्रीजिनसौभाग्यसुरिंद जी रे, खरतरगछराजिंद; सकलकलागुणआगरू जी, प्रतपै तेज दिणंद.... १.... श्रीसौभाग्यसूरीसरू जी... आंकणी ॥ सुमति-गुपतिधर सोभता जी, सूरिसकलसिरदार; गुण छत्तीस विराजता जी, चरण-करण व्रतधार.... श्रीसौ०.... २ । पंचाचार पालै भला जी, चौशिष्या अणगार; च्यार कषाय निवारवा जी, वरजै पाप अढार... श्रीसौ०.... ३ ग्यानादिक गुणमणि निधी रे, उपसम रस भण्डार; जिनमारग उजवालता जी, संयम सतर प्रकार.... श्रीसौ०.... ४ रत्नत्रई साधक भला जी, साथे मुनिपरिवार; त्रिकरण दोष निवारता जी, करता उग्र विहार.... श्रीसौ०.... ५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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