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अनुसन्धान-६४
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मकसूदाबाद (बंगाल) स्थित आचार्यश्रीजिनसौभाग्यसूरिजीने
श्रीबीकानेर जैन (बृहत्खरतरगणीय) संघनी . चातुर्मासार्थे विज्ञप्ति
- सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय पत्रना आरम्भे मंगलरूपे पांच भगवाननी २-२ श्लोकोथी स्तुति, गौतमस्वामिस्तुति, वाग्देवीस्तुति, अने जिनदत्तसूरि तथा जिनकुशलसूरिनी स्तुति छे.
ते पछी बंगालदेशनुं वर्णन तथा मकसूदाबाद नगरनुं वर्णन संस्कृतभाषामां करवापूर्वक गुरुभगवन्तनुं अनेक विशेषणोथी संस्कृत भाषामां वर्णन कयुं छे. वच्चे गुरुना छत्रीस गुणो कया होय ते निर्देशता प्राकृत भाषामां चार श्लोको पण मूक्या छे. ते पछी गुरुभगवन्तनुं वर्णन प्राकृत भाषामां कयुं छे. आगळ, एकथी मांडी छत्रीस प्रकारे गुरुभगवन्तनी स्तवना, अने ते पछी पण जुदां जुदा अनेक विशेषणो द्वारा गुजराती भाषामां तेमनुं वर्णन करवापूर्वक आचार्यभगवन्त श्रीजिनसौभाग्यसूरि महाराजने बीकानेरना श्रीबृहत्खरतरगणीय संघे वन्दना अने विज्ञप्ति करी छे. गुरुभगवन्त तरफथी पत्र मळ्यो छे ते बदल आनन्द व्यक्त कर्यो छे अने तेमनी निश्रामां थयेल धर्मकार्योनी अनुमोदना करी छे. ते पछी गुरुभगवन्त ज्यां विचरे छे ते पूर्व देशनी धन्यता वर्णवी छे.
ते पछी गुरुभगवन्तने बीकानेर पधारवा अने चातुर्मास करवा माटे आग्रहभरी विनंति करवामां आवी छे, अने प्रत्युत्तर आपवा माटे पण विनंति करी छे. त्यारबाद, साथे रहेल पदस्थ भगवन्तो तथा अन्य साधु भगवन्तोने वन्दना करी ४ श्लोकथी पत्रनी समाप्ति करी छे. पत्रनी भाषा संस्कृत छे. पत्रलेखन संवत् १८९८ना मागशर वद १३ना थयुं छे. भाषा शुद्धि तथा लेखन शुद्धि सारी छे.
ते पछी राजस्थानी भाषामां, गुरुभगवन्तने बीकानेर पधारवा माटेनां बे विनंति-गीतो लखवामां आव्या छे.
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