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________________ जुलाई - २०१४ २४५ (२३) जोधपुर श्रीसङ्घनो, अमदावाद-पं. रूपविजयजीने विनन्तिपत्र (सचित्र) - सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय प्रस्तुत पत्र अमदावाद बिराजमान पं. रूपविजयजी म.सा.ने जोधपुरना श्रीसद्धे चातुर्मास विनन्ति रूपे पाठव्यो छे. पत्र सचित्र छे. अन्य पत्रोमां जोवा मळतां चित्रो करतां सिद्धार्थ राजा द्वारा स्वप्नफलपृच्छानुं चित्र, जोधपुरना जैनजैनेतर मन्दिरनुं चित्र, जोधपुरनरेश मानसिंघ महाराजानुं चित्र तेमज व्याख्यान प्रसङ्गे मुहपत्ति बांधवानी तत्कालीन परम्परानुं चित्र विशेष उल्लेखनीय छे. पत्रालेखननी शरुआतमां पार्श्वनाथ प्रभुने नमस्कार करवापूर्वक २७ मुनिगुणनी वर्णना द्वारा थाय छे. त्यार पछीनो बीजो घणो भाग पण गुरुगुणस्तवनारूपे ज लखायो छे. पछी पांच पद्योमां गुरुउपदेशनुं वर्णन करी फरी पद्य-गद्य स्वरूपे गुरुगुणालेखन थयेलुं जोवा मळे छे. श्रीसङ्घनी वन्दना जणावी जोधपुर पधारवानी विनन्तिनो तेमज कुंवरविजयजीनो चातुर्मासिक आराधनानो चितार त्यारपछीना लखाणमां जोवा मळे छे. पूज्यश्रीने 'दम' रोगमां शाता रहे ते उद्देशथी पूज्यश्रीने बेसवा माटे म्याना अंगेनी नोंध श्रावकोनी गुरुभगवन्त माटेनी समर्पितता सूचवे छे. ते ज रीते केशरीचंद सोझितवालानी नोंध श्रावकोनी श्रुतपिपासा जणावे छे. . पत्रान्ते नामोल्लेख साथे श्रावकोए वन्दनादि जणाव्या छे. .... प्रस्तुत पत्रनी Photocopy सम्पादनार्थे आपवा बदल प.पू.आ.श्री विजयरत्नचन्द्रसूरि म.सा. नो तेमज प.पू.आ.श्री विजयनररत्नसूरि म.सा.नो खूब खूब आभार.* * * * स्वस्ती श्रीपार्श्वजीन प्रणम्य श्रीराजनगरे अनेकओपमालायक, पुज्य परमपुज, - * २०५७मां अमदावाद मुकामे पू. रामसूरीश्वरजी म.सा.नी निश्रामां केटलाक मुनिवरोनुं मिलन थयुं त्यारे डहेलाना ज्ञानभण्डारना प्रस्तुत पत्रनी Photo Copy प्रायः उपस्थित तमाम वरिष्ठ आचार्यभगवन्तोने अपाई हती. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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