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________________ जुलाई - २०१४ २४३ त्यां स्यूं गछपति मोहीया गुरु म्हारों, मूंक्या अमने वीसार हो, घांणोरा नगर पधारीइं " ", वंदावण इणवार हो. ११ हार रो हीरो..... धर्मध्यांन इहां किण घणा गुरु म्हारों, नित नित नवलै नेह हो, ओछव महोच्छव अभिनवा " " , केहैतां नावै छेह हो. १२ हार रो हीरो..... सुगुरु सुदेव सुधर्मना गुरु म्हारों, रागी सहू नरनार हो, श्रावक इहां नित साधता " ", धर्मना च्यार प्रकार हो. १३ • हार रो हीरो..... छठ अठम दस पनरना गुरु म्हारों, मासखमण तपनेम हो, ते थास्यै इहां किण घणां " ", उपधानविधि ध्रमनेम हो. १४ हार रो हीरो..... परब पजूषण पारणै गुरु म्हारों, सांहमीवच्छल सार हो, पोसह पडिकमणा तणौ " ", वधस्यै प्रेम अपार हो. १५ हार रो हीरो..... आदरस्य भवियण घणां गुरु म्हारों, समकित अणुव्रतनेम हो, जिनहर जिनपूजा तणों " ", उदय थस्यै रवि जेम हो. १६ हार रो हीरो..... मालमहोच्छव पामीइ गुरु म्हारों, खरचस्यें जन बहु आथ हो, लाभ घणों तुमने हुस्यै " ", इहां आयां गछनाथ हो. १७ हार रो हीरो..... प्रगट इहां पंचतीरथी गुरु म्हारों, सुरघट सुरगवी तुल्य हो, जगत-जनेता जगतमें " ", चिंतामणिसूं अमूल्य हो. १८ हार रो हीरो..... रम्यक राणकपुर भलों गुरु म्हारों, पदमप्रभू नाडूल हो, घांणोरै वीर जादवों " ", श्रीवरकांणों अमूल हो. १९ हार रो हीरो..... ने जिनवर प्रणमंतडा गुरु म्हारों, भव जाइ सह(ह) भाज हो, ध्यांन धर्या नित तेहनों "", पामीइ शिवपदराज हो. २० हार रो हीरो..... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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