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________________ (१८) लक्ष्मणपुर्यां विराजमानं श्रीजिनचन्द्रसूरि प्रति जयपुरनगरतः कमलसुन्दरगणिप्रेषितं विज्ञप्तिज्ञप्तिपात्रं पत्रम् सं. म. विनयसागर १४१ (१९) पार्श्वचन्द्रगच्छीय आ. श्रीविवेकचन्द्रसूरिजी पर राजनगरथी लखाएल विज्ञप्तिपत्र सं. साध्वी समयप्रज्ञाश्री १६७ (२०) सिरोही-विजयलक्ष्मीसूरिजीने सुरतथी श्रीसङ्घनो पत्र (सचित्र) सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय १७४ (२१) राधनपुर-विजयजिनेन्द्रसूरिजीने विजैवापुरथी पं. चतुरसागरगणिनो पत्र ___ सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय १९४ (२२) चाणस्मा-श्रीविजयजिनेन्द्रसूरिजीने उद्देशीने घाणेरावनो विज्ञप्तिपत्र (सचित्र) सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय २१० (२३) जोधपुर श्रीसङ्घनो, अमदावाद-पं. रूपविजयजीने विनन्तिपत्र (सचित्र) सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजय २४५ (२४) मकसूदाबाद (बंगाल) स्थित आचार्यश्रीजिनसौभाग्यसूरिजीने श्रीबीकानेर जैन (बृहत्खरतरगणीय) संघनी . चातुर्मासार्थे विज्ञप्ति सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय २५० (२५) रतलामथी श्रावक मगनीराम वरमेचाए लखेल नागपुरमां विराजमान श्रीसुखलालजी (सौख्यविजयजी) महाराज उपर विनयपत्रिका (विज्ञप्ति) सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय २५८ विहङ्गावलोकन : अङ्क ६०-६१-६२नुं उपा. भुवनचन्द्र २६४ विहङ्गावलोकन : अङ्क ६३र्नु उपा. भुवनचन्द्र २६९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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