________________
२०२
॥ ढाल
श्रीगछनायक गुणनीलोजी साहिबा,
गुण ग्राहक गुणवंत कै भावे भेटीइं हे श्री श्रीजिनेंद्रसूरिंद
-
५ ॥
Jain Education International
भविकजीव प्रतिबोधवाजी साहिबा
साचो तुं समकितवंत कै भावे..... १
२
३
दरसण ताहरो जे करेजी साहिबा, सदा उगमते सूर कै भावे...., ते नर सुखसंपत्ति लहेजी साहिबा, नित नित वधते कै भावे..... नूर जे तुम मुखवांणी सुणेजी साहिबा, परतिख प्रांणी प्रभात के भावे...... धन धन ते नारी नराजी साहिबा, धन तेहनी कुल - जात कै भावे... जे पडिलाभे भावस्युंजी साहिबा, धरि मन अधिक आनंद कै. भावे...... कर सोवनथाल संग्रहीजी साहिबा, धन्य तेही कहवाय कै भावे.... ४ जे पडिलाभे भावस्युंजी साहिबा, धरि मन अधिक आनंद कै भाव ..... पुन्य तणो पोतो भरेजी साहिबा, पांमे परमाणंद कै भावे...... सोल सिणगार सजी करीजी साहिबा, पेहरी नव़सर हार कै भावे ...... कर सोवनथाल संग्रहीजी साहिबा, करती स्वस्तिक सार कै भावे.... ६ धन्य तेही ज जग कामनीजी साहिबा, गुरुगुण गावै रसाल कै भावे....,. सात पाच मिलि सांमठीजी साहिबा, चतुरंगी चोसाल कै भावे..... ७ श्रीगुरु नायक गछधणीजी साहिबा, जिनसासनसिणगार कै भावे ...... सूरी छत्रीस गुणे राजताजी साहिबा, सूरीस्वर सुखकार कै भावे...... ८. श्रीविजैधर्मसूरिंदनोजी साहिबा, पट्टप्रभावक सूर कै भावे...... श्रीविजैजिनेंद्रा[ सूरी] स्वरूजी साहिबा, नायक चढ नूर
कै भावे..... ९
अनुसन्धान- ६४
दूहा आज विषम दुसम अरै, बल संघेयण न तेह, तो पण गुरु जिनधर्मसु, जिनवचन मन - देह. १ समत गुपत सुद्ध आदरी, विषय विकारनो त्याग, कीधो लीधो चारित्तजी, राखे चढते राग. २ बालपणे संयम लीयो, तपयोग कठोर,
करि तप निज काया कसी, जीती ममता जोर. ३
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org