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________________ जुलाई - २०१४ १८७ दूहा तपगछमें मेढी समें, गछदीपावणहार, श्रीविजयलक्ष्मीसूरिसरुं, सूविहितमूनिशृंगार. १ । भाग्यवंत महिमानिलो, सोभागिसिरदार, परउपगारी परगडों, महिमा मेरु अपार. २ श्रीश्री[श्री] अति घणी, एकसो आठ धरान्, श्रीविजयलक्ष्मीसूरीसरू, सपरिवार चरणान्. ३ इत्यादि अनेक शुभ कोटिओपमांविराजमान, सकल भट्टारक-पुरंदर-भट्टारक श्री १००८ श्री... विजयलक्ष्मीसूरिश्वरजीचरणान् चिरंजिवि श्रीसूरजपूरनो लेख लिख्यते। अथ सूर्ज(रज)पूरनयरवर्णनमाह ॥ - दूहा ते श्रीगुर्जर देशमां, गुणमणिगुणे गहीर, सुरति सब सहिरां सिरे, हेमजडित जिम हीर. १ [ढाल] || ते तरिआ रे भाई ते तरिआ - ए देशी ॥ जंबूद्वीपना भरतमां वारू, गुर्जर देश दिदारुं रें, पालनपुर शांतलपूर सारू, पाटण पूण्य विचारू रें. जंबूद्वीप... १ राधनपूर जन धरमना रागी, अमदावाद सोभागी रें, नंबावती जोतां चित्त जागि, चतुराई गुणरागी रे. जंबूद्वीप... २ जंबूसर अति जोवा सरिरपू(खु), वडोदरे वलि निरख्यू रें, "दूरग मोटो डभोई देखू, भरूअच्च सूपरि पर रें. जंबूद्वीप... ३ इम अनेक नगरे करी सोहें. दीठडा मनडं मोहइ रें. नव नवी वनराजी ताजि, निरखे चित्त होवे राजि रें. जंबूद्वीप... ४ तस सीरमूगटोपम तिहां दि(दी)से, सूरतबंदिर चारू रें, वन उपवन आराम प्रमुखनी, बहुलि सोभा धारु रैं. जंबूद्वीप... ५ असनिकुंमार के पूरव दिशै, मिथ्यात्त्वि बहु मांने रे, दक्षणदिशि भिडभंजन नांमें, महादेव मनमां आंणे रे. जंबूद्वीप... ६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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