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________________ जुलाई - २०१४ १७९ सोवनवरण सोहामणो रें, मूरत मोहनवेल रें, चोमूख मूरति अति भली रें, रूडी सिवसुखरेल. ६ अबूंद० केसर अगर कस्तुरिसुं रें, मृगमदनो करि घोल रें, . पवित्र थई जे चरचस्यें रें, कर ग्रही रतनकचोल. ७ अबूंद० धुप अनोपम आरति रें, करे सदा सूखसंग रें, नाटिक नव नव रंगस्यूं रें, वाजत ताल मृदंग. ८ अबूंद० गिर दरसण दुरगति टलें रे, पग पग वंछितपूर रें, भाव धरि भेटे जिकें रें, सदा उगमते सूर. ९ अबूंद० । भवी भावे गिरिवर नमो रें, सिवपूरीस्थांनक एह रें, भावना भावो गुण गीरी गावो, कवियण जंपे एह. १० अबूंद० काव्य : यत्सोत्सङ्गमुपागता जिनमताचारेण पञ्चव्रती माराध्योत्तमभावभावितस(ह)दा प्राप्ता ह्यनेके शिवम् । भव्या[:] संश्रुति(सृति)सागरान्तमिल...जन्तुप्रतारी (?) यतः, नाव(वा) सोऽयमिलातले विजयते तीर्थाधिपश्चार्बुदः ॥१॥ दूहा : तिण देशें अति दिपतों, नगर वडो चोसाल, सिरोहिपूर गुणे गहिर, सोहे झाकझमाल. १ अमरपूरी तिणि आगलें, किरत न पावे कांई, जिम चिंतामणी आगलें, फिटक न शोभा थाई. २ पवित्रकरण पंचम अरिं, जंगम सूगुरू जिहांग, श्रीविजयलक्ष्मीसूरिश्वरू, जिहां विचरे सूरिराज. ३ तेह नगर सूभ थांनिके, सकल गुणौघ-निधान, . चारित्रपात्रचूडामणी, पंडित मांहि प्रधांन. ४ सासनपति श्रीवीरजी, श्रीश्रीसुधर्मास्वाम, श्रीजंबूस्वामी प्रमुख, प्रभवादिक अभिरांम. ५ तेहि ज पट्टपरंपरा, अंबरभासन सूर, श्रीविजयलक्ष्मीसूरिश्वरु, नायक चढतें नूर. ६ ॥ अथ ढाल - ३ रसीआनि(नी) - धर्म जिणेसर गावू रंगसूं - ए देशी ॥ सिरोहि नगर सदा सोहांमणो, अमरपूरी अवतार सोभागी, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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