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________________ जान्युआरी - २०१४ ११७ हांजी संघ आवें यात्रा भणी हांजी देसी विदेसी लोक हुं.. हाजी खरचे द्रव्य घणा तिहां हांजी नरनारी मली थोक हुं. ७ हांजी महिमा पसर्यो महीतले हांजी सेवे सुरनर पाय हुं. हांजी अधिष्टायक जे आदिनो हांजी शेषनाग कहाय हं. ८ हांजी मांनता माने जे मानवी हांजी वंछित पूरे आय हुं. हांजी मूरति त्रिणें पासनी हांजी सेवा करे चीत लाय हुं. ९ । हांजी गौतमस्वामिई पूछीयो भाख्यो श्रीमहावीर हुं. हांजी नेम कहे ढाल ए में कही सतावीसमी सुणज्यो धीर हुं. १० सर्व गाथा २८८(२८७) ॥ ढाल - २७ ॥ वाछारा भावनी - ओ देशी ॥ पारसनाथ तणा गुण गाई कीरति जगमा कीधी हे ससनेही सुंदर सुगुरु वयण चित्त आणल्ये समकित धारि सुणस्ये श्रोता तेह में स्याबासी लीधी हे स. १ मोटामां तो गुण छे मोटा ते किम आवे पार हे स. कोड जीभ करी कोय वखाणे नावें अंत अपार हे स. २ सात समुद्रनी खाई करीने लेखण करी वनराय हे स. लाख चोरासी पूरव वरसें लखीया गुण नवी जाय हे स. ३ जिम वनवासि मृगलो बेठो सीहसु चढवा धारि हे स. ते केम पूरो पडस्यें अंते तेहवी मत छे मारी हे स. ४ वाकिचुकी गिहुंनी रोटी खातां लागे मीठी हे स.. केलवण कीधि में मति सारूं जेहवी शास्त्रमें दीठी हे स. ५ श्रोता सुंघडो लेज्यों सधारी जेमे अधीक कहेवाणु हे स. सहु करता माने जें भुडुं ते वाति किम ताणुं हे स. ६ पृथवी मांहि पंडित पोढा कवीजन के राया हे स. ते वाचिनें थास्यें राजी तो अम लाख सवाया हे स. ७ संवत अढार ईग्यारोत्तर वरसे फागुण मास सुद पक्षे हे स. वार सोम ने तिथि तेरसदिन गायो गुण में हरखे हे स. ८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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