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________________ ११० अनुसन्धान-६३ ॥ ढाल - २० ॥ मारि अरज सुण्योजो हो गछरानायक - ओ देशी ॥ तेडावि आपणो नाथ हो गुणना नायक, गलगली थई आगल करे विनती जी, मेंणुं दीधुं मुने आज हो गु. पोसालमाहिं हु जव गई हती जी... १ का मुनि बहिरांने साथ हो गु. पथरिस खोला माजन आगळे जी, तो हवे आपणे अम हो गु. जमाडवो गांम चोखा मेली भागले जी... २ सो वाते अक वात हो गु. नुतरा देईने जइ आवो वही जी, तो मुझनें थाइं सुख हो गु. नहि तो अन्नपाणि लईस नहीं जी... ३ कहे सेठ तिहां अम हो गु. धन विण किम काम थास्ये कहो किणी परे जी, सरम जा[इ] लोक माहि हो गु. बालकमत करवी ओ ईणी परे जी... ४ जो होय परघल वित्त हो गु. खरचq खावू तो सूझे सही जी, न करो तुमें स्त्रीहठ हो गु. दिवस दोहला जोईने घर रही जी.... ५ कहे नारी तिण वार हो गु. उछीनो उधारो लेईने तुमें करो जी, नही तो हासि ने हांण हो गु. सही करी जांणज्यो कहु छु जे अमें जी...६ हवे न करो तुमे ढील हो गु. अकवार जई आवो माजन नूतरी जी, पछै थास्यें रंगरोल हो गु, सेरिसो सामिने नामे फते करी जी... ७ सेठनें थयो विसवास हो गु. उलट धरीने आवें उपासरें जी, जिहां बेठां सहु साथ हो गु. माजन आगलें खोला पाथरे जी... ८ कहो मुखथी सेठ अम हो गु. काले अम घर जिमवा पधारज्यो जी, हुँ छु माजननो दास हो गु. वीनती मानि काम सधारज्यो जी.... ९ सहु मनमें विमास हो गु. अचरीज वात ओ जोयां सारखी जी, के हांसी के साव हो गु. तुष्टमान देव थयो कोईक रीखी जी.... १० के सेरीसासुपसाय हो गु. संहि मे करस्ये काम सांनिध तणे जी, यो अहने आदेसे हो गु. आवसुं शेठजी जाओ घर आपणे जी.... ११ शेठ आव्या आवास हो गु. मनमें फिकर करें ते अतिघणी जी, ओ अकवीसमी ढाल हो गु. नेम कहे सेरीसो जेहनें धणी जी... १२ (सर्व गाथा - २२७) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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