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________________ अनुक्रमणिका पं. शीलशेखरगणिकृता श्रीदेवसुन्दरसूरि-विज्ञप्तिः सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १ श्रीमण्डपीयसङ्घप्रशस्तिः सं. सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयौ ५ श्रीविनयप्रभोपाध्यायनिर्मित दो लघुकृतियाँ श्रीसीमन्धर एवं इक्कवीसस्थानगर्भित नेमिस्तवन सं. म. विनयसागर ११ अव्ययार्थ-सङ्ग्रहः सं. म. विनयसागर २४ डॉ. नारायणशास्त्री काङ्कर उपाध्याय-श्रीशिवचन्द्रगणि-प्रणीत चार लघुकृतियाँ सं. म. विनयसागर ४५ स्वाध्याय : जीवसमास-स्वाध्याय मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय ६३ शिवदासकृत 'कामावती' (ई. १५१७)मां आवती समस्याना अर्थनी समस्या हसु याज्ञिक ७९ जैन दार्शनिक साहित्य प्रो. सागरमल जैन ८२ जैनदर्शन में प्रमाण-विवेचन प्रो. सागरमल जैन ९४ ढूंकनोंध : मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय १०१ १. 'पुद्गलनो ग्रहण गुण' ओटले शुं? १०१ २. श्रीविजयानन्दसूरि(-आत्मारामजी)विरचित सत्तरभेदी पूजा- रचनावर्ष : वि.सं. १९१९ के १९३९ ? १०३ ३. श्रीस्तम्भनपार्श्वपञ्चविंशतिकाना कर्ता विशे १०५ ४. श्रीसौभाग्यसागरसूरिजी विशे १०६ हस्तप्रत-सम्पादननी शिस्त विषे थोडुक दिशासूचन डॉ. कान्तिलाल बी. शाह १०७ श्रीहेमचन्द्राचार्यचन्द्रक-प्रदान-समारोह : हेवाल ११५ प्राकृत भाषा के विकास हेतु केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत सुझाव प्रो. फूलचन्द्र जैन प्रेमी १२१ आ वेदना छे, विरोध नहि विजयशीलचन्द्रसूरि १२४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520563
Book TitleAnusandhan 2013 09 SrNo 62
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages138
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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