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________________ १०८ संस्पर्श मारे माटे मोटी उपलब्धिरूप हतो. कॉलेजमां गुजराती विभागने माथे सांस्कृतिक प्रवृत्तिओनुं भारण विशेष रहेतुं. अनी व्यस्तता वच्चे मारे माटे ओक अणकल्पी घटना घटी. ते समयना इन्डोलोजीना डायरेक्टर अने मारा मित्र नगीनभाईओ ओक दिवस मने बोलावीने मध्यकालीन गुजरातीनी कृति 'गुणरत्नाकर छन्द'नी हस्तप्रत मारा हाथमां मूकतां कह्यु, 'आ एक सुन्दर कृति छे. ओना पर काम करवा जेवुं छे.' हुं मुंझाउं त्यारे जयंतभाईनी सलाह लउं. पण, आ काममां अमनी 'ना' शानी होय ज ! रगडदगड काम शरू कर्यु. डिग्रीनी तो कशी खेवना के कल्पना मात्र नहीं. पण काम अडधे पहोंच्युं त्यारे जयन्तभाईना आग्रहथी युनि.मां रजिस्ट्रेशन कराव्युं ने तेओ मारा अधिकृत गाईड बन्या. अवारनवार आचार्य प्रद्युम्नसूरिजी, आ. शीलचन्द्रसूरिजी भायाणीसाहेबनुं पण मार्गदर्शन मळतुं रधुं छेवटे निवृत्ति पछीना त्रीजा वर्षे पीएच. डी. नी पदवी प्राप्त थई. आ शोधनिबन्धने गुजराती साहित्य परिषदनुं प्रथम पारितोषिक प्राप्त थतां आचार्य प्रद्युम्नसूरिजीनो संदेशो आव्यो के आ कृतिने छपावो. आ शीलचन्द्रसूरिजीओ पत्र लखीने कृतिने प्रकाशित करवा जणाव्युं ने आ अंगे तमाम सहाय - सहकारनी खातरी आपी. कृति प्रकाशित थतां गुजरात साहित्य अकादमीनुं संशोधन विभागनुं प्रथम पारितोषिक अने श्री जयभिक्खु साहित्य ट्रस्टनो सुवर्णचन्द्रक प्राप्त थयां. " अनुसन्धान-६२ थोडाक समयमां प्रद्युम्नसूरिजीओ मने सोमसुन्दरसूरि रचित 'उपदेशमाला बालावबोध' नी हस्तप्रत मोकली अना सम्पादननुं काम शरू करवा सूचव्युं. धर्मदासगणि रचित ‘उपदेशमाला' परनो आ सौथी प्राचीन बालावबोध. सं. १४८५नी रचना अने मात्र चौद वर्ष पछीनी सं. १४९९ - नी हस्तप्रत. ५०० वर्ष पहेलाना आ अप्रकाशित बालावबोधना सम्पादननुं काम पूरुं थवामां हतुं त्यां गुजराती साहित्य परिषदमां डॉ. भोगीलाल सांडेसरा चेर अन्वये मध्यकाळनी कथामाला 'विनोदचोत्रीसी' ना संशोधन- सम्पादननो प्रकल्प हाथ धरवानो थयो . आ काम परिषदे आपेली बे वर्षनी मर्यादामां में पूरुं कर्यु पछी परिषदे अ कृति प्रकाशित पण करी. आम, मध्यकाळनी स्थूलिभद्र - कोशाना कथानकवाळी, चारणी छन्दोनी लयछटा दाखवी पद्यकृति 'गुणरत्नाकर छन्द', मध्यकालीन गद्यनी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520563
Book TitleAnusandhan 2013 09 SrNo 62
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages138
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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