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________________ 14 छे, अने तेमने तेमणे धर्मलाभ पाठव्या छे. शान्तिसुन्दरगणि कदाच देलवाडाना के पछी राजस्थानना होय तेवी अटकळ आवा उलेखथी करी शकाय खरी. पत्रलेखकनुं व्याकरण-ज्ञान अत्यन्त प्रगल्भ लागे छे. काव्यरचना तो मधुर अने प्राञ्जल छे ज, पण व्याकरणनो बोध पण भारे विशद होय तेवू तेमणे करेला शब्दप्रयोगथी समजाय छे. सहोदरीचरीक्रतः (पत्र १, ४५), प्रकटीचरीक्रतः (२, २५), सरीस्म्रता (२,८०) दर्दृश्यते (२, ११६), आवा विरल थता प्रयोगो जे सहजताथी तेमणे कर्या छे, ते हेरत पमाडी जाय छे. 'बेडा' ए समुद्रनी परिभाषानो शब्द छे. वहाणोना काफलाने - समूहने 'बेडा' कहेवाय छे. आ शब्दने संस्कृत बनावी प्रयोजवानुं साहस काबिलेदाद छे. पत्र २ना १३९मा श्लोकमां "बुद्धिबेडाप्रयोगेण, तरतः शास्त्रवारिधिम्" - आवो प्रयोग तेमणे कर्यो छे, ते तेमनी प्रतिभानो संकेत आपनारो छे. आ पत्र भाद्रपद शुदि तेरशे लखायो छे. (३) त्रीजो पत्र लेखक झरिपल्ली (जीरापल्ली हशे ?)मां चोमासुं रह्या हशे त्यारे, सिद्धपुरमा रहेला गच्छपति श्रीदेवसुन्दरसूरि प्रत्ये तेमणे लखेल पत्र छे, जे ८२ पद्यप्रमाण छे. आमां पण विशेषनामोने बाद करतां पूर्व पत्रो जेवोज वर्णनक्रम छे. प्रवर्तिनी तरीके अभयचूला साध्वीनुं नाम छे, ते नोंधपात्र छे. ३५मा पद्यमा झरिपल्लीमा स्थानिक सङ्घ उपरांत पांच अन्य गामोना आवेला सङ्घो साथे पर्युषण कर्यानो उल्लेख ध्यानार्ह छे. आ वखते गच्छपतिनी साथे सोमसुन्दरसूरि न होतां साधुरत्नवाचक छे ते पण अहीं नोंधायुं छे. आसो वदि ५ने सोमवारे आ पत्र लखायो छे. (४) चोथा पत्रनां फक्त ३२ पद्यो ज प्राप्त छे. तेमां मङ्गल-पद्यो (१-३) पछी नगरनुं वर्णन करतां बे पद्यो होवा छतां ते कया नगर माटे छे ते जाणवा मळतुं नथी. कदाच आ वर्णन अधूरुं छे. पद्य ६ थी ३२मां श्रीगुणरत्नसूरिनुं अद्भुत गुणवर्णन थयुं छे. ३२मा पद्यमां तेमनो नामोल्लेख छे. गुणरत्नसूरि ते देवसुन्दरसूरिना परमविद्वान शिष्य हता. तेमणे रचेला क्रियारत्नसमुच्चय, षड्दर्शनसमुच्चय पर टीका आदि ग्रन्थो सुप्रसिद्ध छे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520562
Book TitleAnusandhan 2013 07 SrNo 61
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages300
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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