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जान्युआरी - २०१३
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वर्धमान जिनरत्नकोश अंगे विनंति
मुनिभगवन्तो शास्त्रोना संशोधन- कार्य करता होय त्यारे तेमने घणी बधी हस्तप्रतो, ग्रन्थो आदिनी जरूर पडे छे. आ हस्तप्रतो के ग्रन्थो तेओ हस्तलिखित ज्ञानभण्डारोमांथी मगावे छे. ओ माटे तेओ जे-ते भण्डारनी सूचि (लीस्ट-केटलोग) जुओ छे अने जोइती हस्तप्रत प्राप्त करे छे. आ व्यवस्थामां मुश्केली ए छे के - ओ ग्रन्थनी हस्तप्रत ते भण्डारमा न मळे तो बीजा कया भण्डारमाथी मळी शके ओ केवी रीते जाणवू ? आ माटे तेओ पोताना परिचित पूज्य आचार्यभगवंत आदि मुनिभगवंतो, परिचित श्रावको के ट्रस्टीओ आदि पासे तपास करावशे. परन्तु तेमने ते माहिती न मळे तो तेओ शुं करी शके? हस्तप्रत वगर तेमनुं संशोधन अधूरुं ज रहे.
ओक सर्वेक्षण प्रमाणे आजे जैन समाज पासे पूर्वाचार्यो) रचेला अन्दाजे पचास हजार शास्त्रो छे. ते शास्त्रोनी अढार लाख जेटली हस्तप्रतो छे. आ हस्तप्रतो सातसो जेटला हस्तलिखित ज्ञानभण्डारोमां सचवायेली छे. आ दरेक ज्ञानभण्डारोनी पोतपोतानी सूचिओ छे परन्तु ओक सम्पूर्ण अने सामान्य सूचि नथी जेमां बधां ज शास्त्रो अने तेमनी बधी ज (अढार लाख) हस्तप्रतोनी नोंध होय.
श्रुतभवने आ दिशामां पगलुं उपाड्युं छे. श्रुतभवनना उपक्रमे वर्धमान जिनरत्नकोशना नामे आ कार्य चालु थई गयुं छे. पूनामां श्रुतभवन, पोतानु त्रण माळनुं मकान छे जेमां पंदरथी वधु कम्प्युटर वसाववामां आव्या छे. आ कार्य करवानी योग्यता अने क्षमता धरावता पण्डितो रोकी, तेमने कम्प्युटरमां एन्ट्री करवानी विशेष ट्रेनींग अपावी छे. खास आ ज कार्य माटे विशेष सोफ्टवेअर पण तैयार कर्यु छे. गामेगामथी सूचिओ मेळवी तेमनी एन्ट्री करवामां आवी रही छे. अत्यार सुधी कुल साडा त्रण लाख हस्तप्रतोनी नोंध मळी छे.
आ बधु कार्य गच्छ के सम्प्रदायना भेद वगर थई रहुं छे. लगभग सात-आठ वरसमां आ कार्य पूर्ण करवानी धारणा छे. ते पूर्ण थतां तेनी मुद्रित नकल दरेक गच्छना अने सम्प्रदायना मुख्य केन्द्रोमां श्रुतभवन द्वारा समर्पित
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