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________________ अनुसन्धान-५९ किसी श्राविका के पूछने पर श्रावक ने कहा- इससे ग्रन्थ का प्रारम्भ किया गया है। 'देविन्दत्थव' नामक प्रकीर्णक में श्रावक-श्राविका के संवाद के रूप में ही उस ग्रन्थ का समस्त विवरण प्रस्तुत किया गया है । आचाराङ्ग में शिष्य की जिज्ञासा समाधान हेतु गुरु के कथन से ही ग्रन्थ का प्रारम्भ हुआ है। उसमें जम्बू और सुधर्मा से संवाद का कोई संकेत भी नहीं है । इससे यही फलित होता है कि प्राचीनकाल में ग्रन्थ का प्रारम्भ करने की कोई एक निश्चित पद्धति नहीं थी । श्वेताम्बर परम्परा में मान्य आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग, स्थानाङ्ग, समवयाङ्ग, उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, नन्दी, अनुयोगद्वार, दशाश्रुतस्कन्ध, कल्प आदि अनेक ग्रन्थों में भी जम्बू और सुधर्मा के संवाद वाली पद्धति नहीं पायी जाती है । पद्धतियों कि एकरूपता और विशेष सम्प्रदाय द्वारा विशेष पद्धति का अनुसरण-यह एक परवर्ती घटना है। जबकि पउमचरियं अपेक्षाकृत एक प्राचीन रचना है । ___ (२) दिगम्बर विद्वानों ने पउमचरियं में महावीर के विवाह के अनुल्लेख (पउमचरियं २/२८-२९ एवं ३/५७-५८) के आधार पर उसे अपनी परम्परा के निकट बताने का प्रयास किया है। किन्तु हमें स्मरण रखना चाहिए कि प्रथम तो पउमचरियं में महावीर का जीवन-प्रसंग अति संक्षिप्त रूप से वर्णित है अतः महावीर के विवाह का उल्लेख न होने से उसे दिगम्बर परम्परा का ग्रन्थ नहीं माना जा सकता है। स्वयं श्वेताम्बर परम्परा के कई प्राचीन ग्रन्थ ऐसे हैं जिनमें महावीर के विवाह का उल्लेख नहीं है । पं. दलसुखभाई मालवणिया ने स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग के टिप्पण में लिखा है१० कि भगवतीसूत्र के विवरण में महावीर के विवाह का उल्लेख नहीं मिलता है। विवाह का अनुल्लेख एक अभावात्मक प्रमाण है, जो अकेला निर्णायक नहीं माना जा सकता, जब तक कि अन्य प्रमाणों से यह सिद्ध नहीं हो जावे कि पउमचरियं दिगम्बर या यापनीय ग्रन्थ है । ८. देविंदत्थओ (देवेन्द्रस्तव, सम्पादक - प्रो.सागरमल जैन, आगम-अहिंसा-समता प्राकृत संस्थान उदयपुर) गाथा क्रमांक - ३, ७, ११, १३, १४ । ९. सुयं में आउसं । तेणं भगवया एवमक्खायं । - आचाराङ्ग (सं. मधुकर मुनि), १/ १/१/१ १०. पउमचरियं, इण्ट्रोडक्सन, पृष्ठ १९ का फुटनोट क्र. १ ।
SR No.520560
Book TitleAnusandhan 2012 07 SrNo 59
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2012
Total Pages161
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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