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जून - २०१२
॥ श्री इन्द्रनन्दिसूरिभास ॥ ॥ ए ६० ॥ श्रीसोमजयसूरिगुरूभ्यो नमः ॥
सरसति सरसति सामणि सेवीइ ए, वरसति वरसति वचनविलास कि, कविजनजननी जाणीइ ए, पणमीय पणमीय पूरइ आस कि,
सरसति सामणि सेवीइ ए १ सेविइ सरसति लहीअ अनुमति, धरिअ भगति भलेरडी, आणंद आणी अह्म वाणी, सुणि-नसुणि साहेलडी, गणधर गणागर महिमसागर, हरिखि वंदणि जाईए, श्रीइंद्रनंदिसूरिंद सहगुरु, हेलि' गेलि' गाईइ २ धन धन धन धन अह्म दिन आजनु ए, सरसिइं ए सरसिइं ए वंछितकाज कि, सहीअर सवि मनि चीतवए, भेटिसुं भेटिसुं सहगरराज कि,
धन धन अह्म दिन आजनु ए ३ धन धन्न वर संगार सहिअर, करई रंग रसाली ए, नव रंगि चीरं शरीर सोहई, घाट-घुग्घुरिआली ए, । करि सुरअंतेउरी पायनेउरी, मयणभेरी अवतरी, करि धरिअ थाल विशाल अक्षत, पूरि पदमनि संचरी ४ गणधर गणधर नरखी नयणले ए, हरिखीअ हरिखीअ हृदयमझारि कि, सुंदरि सवि सिरखी मिली ए, बोलइ ए बोलइ ए मंगल च्यार कि
गणधर नरखी नयणले ए ५ नयणले निरखीअ हीइं हरखीअ, हविः अहिनिसि आवइ, कुंकुम चावल चउक पूरइ, सुगुरु रंगि विधावए, वर कल्पवेली तिसी हेली', अवर कोई न तोलए, निअ मन आणंदइ नवल छंदिइं, धवल-मंगल बोलइ ६ जलहर जलहर जिम जगि ऊनयउ ए, विरसइ ए विरिसइ ए अचलधार कि, वचनविलास सोहामणउ ए, चंदन चंदन शीतल सार कि जलहर।
जिम जगि ऊनयउए ७