________________
८४
अनुसन्धान-५७
वस्तु - ४ सुमति पंचइ सुमति पंचइ । तिन्नि गुपत्ति । परीसह बावीस छई दशइ भेद यति धर्म आणउ । बारइ भावु भावना पंच भेद चारित्त जाणउ । परिहारादिक तिन्नि गय चारित वर्तइं दुन्नि । श्री आणंदवर्द्धन इम कहिं संवर सत्तावन्न ॥१७।।
हिव - दूहा ॥ तत्त्व नीझर जे सातमुं तेह तणा कहुं भेद । बार प्रकारे तप करू कर्म हुइ जिणि छेद ॥१८।। छइ भेद तप बाह्यना । अनशन धुरि दिन एक । षटमासाविधि बोलीइ । जउ हुइ हीइ विवेक ॥१९॥ ऊनोदरता पुरुषनिं । कवल कहिया बत्रीस । नारि अट्ठावीसइ घटिं । नपुंसक पणवीस ॥२०॥ ए उतकृष्ट संखेपीइ । त्रीजुं वृत्तिसंक्षेप । साधु द्रव्यादिक नवि ग्रहिं । श्रावक एह आक्षेप ॥२१॥ चऊद नियम जे दिन प्रति संभारी पचखाण । संध्यां तेह संक्षेपीइ । जे भवियण हुइ जाण ॥२२॥ रसत्याग षटरसतणा । केता लेवा नीम । कायक्लेश लोचहतणु ताप सहइ अनुहीम ॥२३।। संलीनता त्रिवधि कही इंद्रीय मन वच काय । ओही तेह संखेपीइ बादर तप इम थाय ॥२४।। अब्भितर तप भेद छइ आलोयण गुरु पासि । तप दीधुं पहुचाडीइ मन शुद्धि गृहवासि ॥२५॥ विनय विशेष कीजीइ थिवरां अनइ गुणवंत । अभ्युत्थान आस दीइ वंदइ विनई संत ॥२६।। वेयावच्च दश तप करइ आयरीयोवज्झाय । ज्ञान तपश्वी बालनइं अन्न पान गम खाय ॥२७॥