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________________ अनुसन्धान-५७ छे. लोभ त्यजतां, मोक्षसुख हाथवेतमां छे. (५) प्रस्तुत रचना श्री उत्तमचंदनी छे. सं. १८५३ चैत्र वद १०ना रोज आ 'भास' रचायो छे. कविना गुरु, नाम शिवचंद छे. गाम अने नगरोमां विहार करतां करतां कविना नगरमां आव्या छे. साथे सद्गुरु श्री विजय जिनेन्द्रसूरि छे, जेओ तपागच्छना नायक छे. तेओ अहीं वीरप्रभुने वंदवा तथा चतुर्विध संघने वंदाववा आव्या छे.(कदाच तीर्थयात्राओ नीकळ्या छे अने रस्तामां आवता नगरोनां देरासरनां दर्शन करता जाय छे.) गुरुना पिताश्रीनुं नाम शाह हरचंद अने मातानु नाम गुमान छे. सूरिपदने पामेला गुरु खरे ज, गुणने पात्र आम अहीं गुरुदर्शननो थनार आनन्द व्यक्त थयो छे. अहीं गुरु नाम गच्छनाम मातापिताना नाम, संवतना उल्लेखथी कृति ऐतिहासिक रीते महत्त्वनी बने छे. साध्वी जडावश्रीरचित (१) श्री आदिजिन (कोठारीपोळमांना) स्तवन रीखवजी आवा गुजर देस रे : अबोडा : हुं तो प्रणमु बाले वेस रे : अ : ते तो कोठारी पोळमां छाजे रे : अ : प्रभु भोइरा माही बीराजे रे : अ : री : ॥१॥ उपर सुवधीनाथजी राजे रे : अ : तीहा ढोल नगारा बाजे रे : अ : साथे सरणाई भुगल वाजे रे : अ : आकासे दुंदभी गाजे रे : अ : रीख : ॥२॥ अमे मली सहीअरनी टोली रे : अ : सखी चसठ बाली भोली रे : अं: जल चंदन म्रगमद घोली रे : अ : केसर बरास रंगरोली रे : अं : रीखव ॥३॥
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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