SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४ अनुसन्धान-५७ रथ वाली नेमजी वल्या रे, छोडी जीवना बंध, दीख्या लेवा उमह्या रे, मुंकी सब जग धंध रे. २२ विरह.... ढाल राग-मारुणी ॥ नेम वल्या निसुण्या जव कानिं, विलपइं राजुल नारी रे, विण अपराध मूंकई कां रे वाला, पूरव प्रीत वीसारी रे. २२ पीउ रहो रहो रे प्राणाधार, अबला सार करीजइं रे, तुम पाखई रे कुण गति थाय, वाला वेगि वलीजइ रे, पीउ रहो... [आंकणी] तुम वियोग एकलडी हुँ अबला, केम करुं निरधार रे, वाला ताहरि वियोगिं ए सघलो, सूंनो एह संसार रे. २३ पीउ.... माय कहिं पुत्री तणि वियोगि, सुणिं तु रायुल बाल रे, नेम गयो तो जावा दइउं, वरजे अवर भूपाल रे. २४ पीउ.... सुणिय वयण मुखि अंगुलि देती, वयण एहवू न बोलीजई रे, जो एणि नेम न परणी मुझनइं, तो सही संयम लीजइं रे. २५ पीउ... राजीमती हवि नेमजी पासिं, लीधो संयमभार रे, नव भवनी प्रीत अविहड राखी, ध्यन ध्यन राजुल नारि रे. २६ पीउ... ढाल-चुपई संवच्छरी देइ करी, श्रीनेमिश्वर निज हित करी, दिख्या लेइ सारि काज, श्रीगिरिनारि गया जिनराज. २७ राजीमतीनई दिधी दिख, आपी सुमतिनइं अविरल सिख, नव भवनो नेम नेह पालीओ, कामपिशाच जेणि बालीओ. २८ नेमनाथनइं राजीमती, बेहु पाम्यां वली सदगती, अहनिसि लिजइं एहनुं नाम, जिम मनवंछित सिझइं काम. २९ ए श्रीनेमि तणुं चरित्र, भणतां गणतां पुण्यपवित्र, भवि भवि मागु एह ज देव, तुम चरणे देयो मुझ सेव. ३० कलस इम थुण्यो सामी, मुगतिगामी, नेमिनाथ जिणेसरो, मइं स्तव्यो भगति, भली युगति, सेवकजनमनदुखहरो,
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy