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________________ डिसेम्बर २०११ अपहरण, कलकाचार्य द्वारा सिन्धुदेश (परिसकूल) से शको को लाने गर्द भिल्ल की गर्दभी विद्या के विफल कर गर्दभिल्ल को पराजित कर और सरस्वती को मुक्त कराकर पुनः दीक्षित करने आदि के ही उल्लेख है । उसमे विक्रमादित्य सम्बन्धी कोई उल्लेख नहीं है । जैनसाहित्य में विक्रमादित्य सम्बन्धी हमें जो रचनाए उपलब्ध है उनमें बृहत्कल्पचूर्णि (७वी शती) प्रभावक चरित्र (१२३७ इ.), प्रबन्धकोश (१३३९), प्रबन्ध चिन्तामणि (१३०५ ई.), पुरातनप्रबन्धसंग्रह, कहावली (भद्रेश्वर), शत्रुञ्जय महात्म्य, लघु शत्रुञ्जयकल्प विविधतीर्थकल्प (१३३२), विधिकौमुदी, अष्ठाह्निकव्याख्यान, दुषमाकालश्रमण संघस्तुति, पट्टावली सारोद्धार, खरतरगच्छसूरि परम्परा प्रशस्ति, विषापहारस्तोत्र भाष्य, कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाष्य, सप्ततिकावृत्ति, विचारसारप्रकरण, विधिकौमुदी, विक्रमचरित्र आदि अनेक ग्रन्थ है, जिनमें विक्रमादित्य का इतिवृत्त किञ्चित् भिन्नताओं के साथ उपलब्ध है । खेद मात्र यही है ये सभी ग्रन्थ प्राय: सातवीं शती के पश्चात् के है | यही कारण है कि इतिहासज्ञ इनकी प्रामाणिकता पर संशय करते हैं । किन्तु आचार्य हस्तीमलजी ने दस ऐसे तर्क प्रस्तुत किये है, जिससे इनकी प्रामाणिकता पर विश्वास किया जा सकता है । उनके कथन को मैंने अपनी शब्दावली आगे प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है । (देखे - जैनधर्म का मौलिक इतिहास खण्ड २ पृ. ५४५-५४८) I ११९ (१) विक्रमसंवत आज दोसहस्राब्दियों से कुछ अधिक काल से प्रवर्तित है आखिर इसका प्रवर्तक कोई भी होगा - बिना प्रवर्तक के इसका प्रवर्तन तो सम्भव नहीं है और यदि अनुश्रुति उसे 'विक्रमादित्य' (प्रथम) से जोडती है तो उसे पूरी तरह अस्वीकार भी नहीं किया जा सकता है I मेरी दृष्टि में अनुश्रुतियाँ केवल काल्पनिक नहीं होती है । (२) विक्रमादित्य से सम्बन्धित अनेक कथाएँ आज भी जनसाधारण में प्रचलित है, उनका आखिर कोई तो भी आधार रहा होगा । केवल उन आधारों को खोज न पाने की अपनी अक्षमता के आधार पर उन्हें मिथ्या तो नहीं कहा सकता है । जिस इतिहास का इतना बडा जनाधार है उसे सर्वथा मिथ्या कहना भी एक दुस्साहस ही होगा । (३) प्राचीन-प्राकृत ग्रन्थ गाथासप्तशती, जिसे विक्रमकी प्रथम - द्वितीय शती
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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