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________________ डिसेम्बर २०११ १०७ स्वाध्यायः विशेषावश्यक महाभाष्यनो स्वाध्याय करतां...। [विशेषावश्यक भाष्य, वांचन-स्वाध्याय करतां जडेलां शुद्धिस्थानोनी नोंध प्रायः चार के पांच हिस्सामा अगाऊ 'अनुसन्धान'मां आपेली छे. छेल्ली नोंध ३६मा अंकमां हती. त्यारबाद छेल्ली नोंध आपवानी रही गई, ते आ अंकमां आपवामां आवे छे.] विशेषावश्यकभाष्य - शुद्धिपत्रक पंक्ति ११ ५७६ ५७६ १ २६ ५७७ ५७७ ५८० ५८१ ५८१ ५८४ ५८५ अशुद्ध णत्थि ओ अहवोसप्पु-सप्पि० एसा व चूओऽचूओ वा ०वस्त्रादिभिर्बाह्य सम्मत्तं ति सुपत्थिओ नओ कस भवो आउ नोकर्मद्रव्यकषया भिउडीभंगुरा० ०जीवज्जीवाणु० पुष्पं फलं० ०शोधनरूपउपादानसाधनः नमोऽरहा निरुक्तसमय शुद्ध णत्थि उ अहवोसप्पु-स्सप्पि० एसा वा चूओ अचूओ वा ०वस्त्रादिर्बाह्य० समत्तं ति सुप्पत्थिओ तओ कसं भवो आओ नोकर्मद्रव्यकषाया भिडडिभंगुरा० जावज्जीवाणु० पुप्फ कलं० ०शोभनरूपअपादानसाधनः नमो अरहा निरुक्तसम्भव ५८५ ३४ २८ ५८५ ५८६ ५८७ ५८८ ५८८ ५८९ ५८९ ११
SR No.520558
Book TitleAnusandhan 2011 12 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages135
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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