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________________ ऑगस्ट २०११ १७९ 'हेमचन्द्राचार्य ट्रस्ट' ना आदि प्रेरक पूज्य आ. श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजने अंजली अनुसन्धाननो आ ५६मो अंक पूज्यपाद गुरुभगवन्त आचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी पुण्यस्मृतिने समर्पित छे. 'अनुसन्धान' अने तेनुं प्रकाशन करनारी संस्था (हेमचन्द्राचार्य ट्रस्ट) ए बन्ने वस्तुतः ते पूज्य आचार्यश्रीनी ज कृपानां परिणाम छे, ए वात आ तके भूल्या विना याद करवी जोईए. वि.सं. २०४५मां श्रीहेमचन्द्राचार्यनी नवमी शताब्दीनी उजवणीनो अवसर आववानो हतो, त्यारे तेमणे आगोतरी विचारणा करी, अने आयोजनो माटे संकल्प कर्यो. परिणामे हेमचन्द्राचार्य ट्रस्टनी एवी रीते रचना थई के ते २०४५मां तो कार्यरत पण थई गयुं. आ ट्रस्ट चोक्कस वर्तुळ तेमज विचारसरणिमां बंधाई जई सीमित - संकुचित न बने, पण तेनुं फलक विशाल होवुं जोईए, एवी विभावनाने एमणे उदार हृदये स्वीकृति आपेली, अने ट्रस्टना उद्देशोनुं फलक व्यापक बनाववानी वातने आशीर्वाद आपेला. तेने लीधे ज आ ट्रस्ट धर्मसम्प्रदाय के ज्ञाति-जातिना भेदभावोथी अलिप्त रहीने अनेकविध, दाखलारूप विद्या- प्रवृत्तिओ करी शक्युं छे. ट्रस्टना उपक्रमे चालती विविध मूल्यवान प्रवृत्तिओ परत्वे तेओश्रीने सन्तोष तो हतो ज, पण ते बधांमां तेओनो सक्रिय, प्रेरणात्मक तेमज मार्गदर्शनात्मक फाळो पण हमेशां रहेतो. छेल्ले छेल्ले, गया वर्षना चातुर्मास दरमियान, ट्रस्टना आश्रये 'हेमसमारोह' योजायो, अने ते प्रसंगे त्रण विद्वान् साक्षरोने चन्द्रक पण आपवामां आव्यो, ते बधो कार्यक्रम तेओनी निश्रामां ज थयो हतो. ए प्रसंगथी तेओ खूब प्रसन्न हता. अनुसन्धाननो नवो अंक आवे एटले तेनी पहेली प्रत तेओना हाथमां पहोंचाडवामां आवती. ते जोईने खूब सन्तोष अनुभवता. तेमणे स्थापेल संस्थाना आश्रये थती आवी ज्ञान- प्रवृत्ति हमेशां तेमने प्रसन्नकर ज बनी छे.
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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