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________________ १६८ अनुसन्धान-५६ गणाववामां आव्यो छे.१ त्यां दृष्टान्त साथे आ वात समजाववामां आवी छे के आपणी पाछळथी साप चाल्यो जतो होय तो अचानक आपणने भयनी आशंका थाय छे अने आपणे त्यांथी खसी जइसे छीओ. आ सापना अस्तित्वने कोई इन्द्रियथी तो जाणी शकाय तेम हतुं ज नहीं. आपणे मानसिक व्यापारथी ज ओ बोध को छे, माटे अ अ-चक्षुर्दर्शन ज छे. प्रचलित ज्ञान-दर्शननी व्यवस्थामां Sixth Senseनो विचार कदाच आ एक ज ठेकाणे हशे. ★ "दव्वओ णं सुयनाणी उवउत्तो सव्वदव्वाइं जाणइ पासई" (नन्दीसूत्र)-आमां श्रुतज्ञानमां दर्शन न होवा छतां 'पासइ' केम का ? __सौ प्रथम तो 'पासइ' अत्रे पश्यत्ता साथे सम्बन्धित छे. आ पश्यत्ताने 'अचक्षुर्दर्शन' रूप समजवी अवो अक मत छे के जेनुं खण्डन वि.भाष्य५५४मां करवामां आव्युं छे. सैद्धान्तिक मत प्रमाणे अत्रे 'श्रुतज्ञान-साकारपश्यत्ता' समजवी जोइओ अq स्पष्टीकरण वि.भाष्य-५५५मां करवामां आव्युं छे. पन्नवणाजी-पद ३०मां वर्णित आ निराकार-साकार पश्यत्ता शं छे ते समजवानो प्रयत्न करीओ. कुल १२ उपयोगमांथी मतिज्ञान, मत्यज्ञान अने अचक्षुर्दर्शन -अे त्रण उपयोगनी पश्यत्ता होती नथी अने बाकीना नव उपयोगमां पश्यत्ता होय छे. आम 'उपयोग' शब्द बोधमात्र माटे वपराय छे, ज्यारे ‘पश्यत्ता' शब्द ओ ज उपयोग माटे नियत छे के जे उपयोगमां ओ उपयोगनी विषयभूत वस्तुनो साक्षात्कार- पुरतः उपस्थिति साथेनुं अवलोकन संकळायेलुं होय छे. आ रीते उपयोग अने पश्यत्ता समानकालीन होय छे अने उपयोगनी साकारता-निराकारताने अनुलक्षीने पश्यत्ता पण साकार-निराकार गणाय छे. मतिज्ञान के मत्यज्ञानमां महदंशे वस्तुनो साक्षात्कार होतो नथी, तेथी ओ बे जग्याओ आंशिक पश्यत्ता होवा छतां समग्र मतिज्ञान के मत्यज्ञानने अनुलक्षीने पश्यत्तानो निषेध छे. ओ ज रीते अचक्षुर्दर्शनमां पण आत्मिक भावोना साक्षात्कार वखते तेमनी पुरतः उपस्थिति नथी होती, मतलब के ते भावोने अपेक्षीने ‘पश्यत्ता' नथी प्रवर्तती, तेथी अचक्षुर्दर्शनने अनुलक्षीने पण १. "इन्द्रियनिरपेक्षमेव तत् कस्यचिद् भवेद् यतः पृष्ठत उपसर्पन्तं सर्प बुद्ध्यैवेन्द्रियव्यापार निरपेक्षं पश्यतीति ॥"
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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