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________________ ऑगस्ट २०११ १६५ ___ तार्किकोनी वात बीजी रीते पण स्वीकार्य छे. अर्थावग्रहमां चोक्कस पदार्थनी 'अर्थ- विषय' तरीके स्थापना थाय छे अने तेनो अल्प बोध थाय छे - ओ तो सर्वप्रसिद्ध छे. पण ध्यानपात्र वात ओ पण छे के तेमां ग्राहक इन्द्रिय पण नक्की थाय छे. जेम के ओक साथे आंख सामे वस्तु होय, जीभ पर कोईक वानगी मूकेली होय, नाकमां कशीक गन्ध प्रवेशती होय, कानमां अवाज़ अथडातो होय अने शरीर साथे कशाकनो स्पर्श थतो होय तेम बने. आ बधी निराकार अवस्थाओ छे. तेमांथी अत्यारे कई इन्द्रियना विषयग्रहणने प्राधान्य आपq छे ते अर्थावग्रहमां नक्की थाय छे. हवे ओक वात नक्की छे के चक्षुथी ग्राह्य रूप ज होय अने श्रोत्रथी ग्राह्य शब्द ज होय. तेथी अर्थावग्रहमां इन्द्रियना निश्चय साथे विषयनो 'रूप छे, शब्द छे व.' निश्चय पण थइ ज जाय छे. अने आ निश्चय इन्द्रियथी थतो सामान्यमां सामान्य निश्चय होवाथी सामान्यग्रहण ज गणाय छे. पछी 'आ रूप कोर्नु हशे? आ शब्द कयो हशे ?' आवी विचारणा (-ईहा) प्रवर्ते छे अने बोधप्रक्रिया आगळ वधे छे. नन्दीसूत्रमां आ ज वात प्ररूपाइ छ : "अव्वत्तं सदं सुणेज्जा" - अव्यक्तशब्द श्रवण - 'व्यंजनावग्रह' - "तेणं सद्देत्ति उग्गहिए" - 'शब्द छे' अर्बु ग्रहण - 'अर्थावग्रह' । “न उण जाणइ के वेस सद्दे त्ति, तओ से ईहं पविसई" - 'ईहा'. आम तार्किकोनी प्ररूपणा वधु सुदृढ छे. ओक प्रश्न हजु ऊभो रहे छे के जो अर्थावग्रह अने ईहा साकार मतिज्ञानोपयोगना ज भेद छे, तो अमने घणे ठेकाणे' अनाकार दर्शनोपयोगना भेद तरीके शा माटे ओळखाववामां आव्या हशे ? आनुं समाधान ओम सूझे छे के दार्शनिकक्षेत्रमा 'साकार' शब्द जे ओछामां ओछी व्यक्ततानी अपेक्षा राखे छे, तेटली व्यक्तता पण अर्थावग्रह-ईहामां होती नथी. जैनेतर दर्शनो 'आ मनुष्य छे' अवा बोधने ज साकार गणे छे, जे अर्थावग्रह-ईहा पछीनी ज अवस्था छे. बनी शके के आ कारणथी ज अर्थावग्रह-ईहाने निराकार 'दर्शन' गणवामां आव्या होय. पण ओ भूलवू न जोइओ के वास्तवमां ज्ञानना भेदोने आ रीते दर्शन गणवा ते औपचारिक कथन ज छे. तत्त्वार्थ-सिद्धसेनीयवृत्तिमां मुख्य अने १. "पासइ त्ति पश्यति अवग्रहेहापेक्षयाऽवबुध्यते, अवग्रहेहयोर्दर्शनत्वात्'' - अभयदेवसूरिजी-भगवतीटीका
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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