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________________ ऑगस्ट २०११ १३९ श्रीशीतलनाथ-स्तवन मोरा साहिब हो, श्रीसीतलनाथ की, वीनति सुणि एक मोरडी, दुख भांजइ हो, तुं दीनदयाल की, वात सुणी मइ तोरडी...मो० १ तिण तोरइ हो, हुं आय उपासिकि, मुझ मनि आसा छइ घणी, कर जोडी हो, कहुं मन की बात कि, तुं सुणिजे त्रिभुवन धणी...मो० २ हुं भमियउ हो, भवसमुद्र मझार कि, दुख अनंता मइ सह्या, ते जाणइ हो, तुहि ज जिणराय कि, मइ किम जायइं ते कह्या...मो० ३ भाग जोगइ हो, तोरउ श्रीभगवंत कि, दरसण नयने रे निरखीयउ, मन मान्यउ हो, मोरइ तुं अरिहंत कि, हीयडउ हेजइ हरखीयउ...मो० ४ एक निश्चय हो, मइ कीधउ आज कि, तुक(झ) बिण देव बीजउ नही, चिंतामणि हो, जउ पायउ रतन्न तउ, काच ग्रहइ नहि को सही...मो० ५ पञ्चामृत हो, जउ भोजन कीध तउ, खलि खावा मन किम थीयइ, कंठतांइ हो, जउ अमृत पीध तउ, खारउ जल कहउ कुण पीयइ...मो० ६ मोतीकउ हो, जउ पहिरेवउ हार तउ, चिरमछि कुण पहिरइ हीयइ, जसु गांठि हो, लाख कोडि गरत्थ कि, व्याज काढी दाम किम लीयइ...मो० ७ घर माहे हो, जउ प्रगट्यउ निधान तउ, देसंतरि कहउ कुण भमइ, सोना कउ हो, जउ पुरसउ सीध तउ, धातुवाहनइ कुण धमइ...मो० ८ जिण कीधा हो, जवहरव्यापार तउ, मणिहारी मनि किम गमइ, जिण कीधा हो, सही हाल हुकम्म तउ, ते तुं-कार्यउ किम खमइ...मो० ९ तुं साहिब हो, मेरउ जीवन प्राण किं, हुं प्रभु सेवक ताहरउ, मोरउ जीवित हो, आज जनम प्रमाण कि, भवदुख भागउ माहरउ...मो० १० तुझ मूरति हो, देखतां प्राय कि, समोसरण....., जिन प्रतिमा हो, जिनसरिखी जाणि कि, मूरिख जे सांसउ करइ... मो० ११ तुम दरसण हो, [मुझ (?)]आणंदपूर कि, जिम जगि चंद-चकोरडा, तुम दरसण हो, मुझ मनि उछरंग कि, मेह आगमि जिम मोरडा...मो० १२ तुम नामइ हो, मोरां पाप पुलाय कि, जिम दिन ऊगइ चोरडा, तुम नामइ हो, सुख संपति थाय कि, मनवंछित फलइ मोरडा...मो० १३
SR No.520557
Book TitleAnusandhan 2011 09 SrNo 56
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size115 KB
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