SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मई २०११ सिन्धु-सौवीरदेशना राजा उदयन द्वारा पूजित 'जीवन्तस्वामी' तरीके निर्मित ते प्रतिमा 'वीतभयपत्तन' ना ध्वंस-समये जमीनमां दटाई हती. विक्रमना १२मा सैकामां, श्रीहेमचन्द्राचार्यना कहेवाथी, राजा कुमारपाले, ते प्रदेशमां उत्खनन करावीने ते प्रतिमा सम्प्राप्त करेली, अने ते तेने पाटण लई आव्यानो उल्लेख, ‘त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' ना दशमा पर्वमां उपलब्ध छे. परन्तु त्यार पछी ते प्रतिमानुं शुं थयुं तेनो संकेत मळतो नथी. प्रस्तुत स्तोत्रना बीजा पद्यमां विषे स्पष्ट निर्देश सांपडे छे, ते ऊपरथी अनुमान थई शके के ते प्रतिमा कोई पण प्रकारे बची गई के बचावी लेवामां आवी हशे अने कालान्तरे ते मध्य प्रान्त-मालव देशमां पहोंची हशे, जे माण्डूना मन्त्री पेथडशाहना अखत्यारमां देखा दे छे. आ उल्लेख साचे ज इतिहासनो एक महत्त्वनो अंकोडो बनी रहे तेम छे. ८. छठ्ठा पद्यमां नोंधायेल संवत् १३२० वर्ष सुधीमां अथवा तो १३२० थी प्रारंभीने पेथडशाहे कया कया क्षेत्रमां कया कया जिनालयो कराव्यां, तेनी यादी अथवा तालिका आ प्रमाणे छे. स्तोत्रना ६ थी १५ एटलां पद्योमां थयेल वर्णनने अनुसारे आ तालिका गोठवी छे : १. 'मण्डपगिरि (मण्डपदुर्ग) आदिनाथ चैत्य श्रीनेमिनाथ-चैत्य २. निम्बस्थूर - पर्वत तेनी तलेटीमां पार्श्वनाथ चैत्य पार्श्वनाथ-चैत्य ३. उज्जयिनी ४. विक्रमपुर ५. मुकुटिका पुरी (महुडी ? ) ६. विन्धनपुर १७ ७. आशापुर ८. घोषकीपुर ९. अर्यापुर नेमि-चैत्य पार्श्वनाथ तथा आदिनाथ (बे चैत्य) मल्लिनाथ-चैत्य पार्श्व-चैत्य आदिनाथ-चैत्य शान्तिनाथ - चैत्य १. स्तोत्रकार मण्डपगिरिने शत्रुंजयसमान अने निम्बस्थूरपर्वतने उज्जयन्त - समान वर्णवे छे. अर्थात् ते बे पर्वत ऊपर क्रमशः शत्रुंजयावतार अने उज्जयन्तावतार चैत्यो मन्त्रीए बनाव्यां.
SR No.520556
Book TitleAnusandhan 2011 06 SrNo 55
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy