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________________ १२४ अनुसन्धान-५५ ४.४ गुटका अने मिश्र कृतिओ : घणीवार ओक ज पोथीमां सळंग अनेक कर्तानी नानी-मोटी रचनाओ लखवामां आवती होय छे. आवा किस्सामा हस्तप्रतनुं ध्यानथी निरीक्षण कर्या सिवाय फक्त प्रारम्भनी कृतिनुं सूचिकरण करीने अन्य पानां छोडी देवामां आवे तो अनेक कृतिओ सूचि थया विनानी पडी रहे ते शक्यता नकारी शकाय नहीं. परिणामे सूचिकारे हस्तप्रतना रचनाविधानथी परिचित रहेवू जोइओ. 'गुटका'मां अकथी अधिक कर्ताओनी अकथी अधिक कृतिओ होय छे. 'गुटका' सिवायनी अन्य हस्तप्रतोमां पण कवचित ओक के ओकथी वधु कर्ताओनी कृतिओनुं लेखन थयेलुं जोवा मळे छे.. ४.५ ग्रन्थनाम पृष्ठनो अभाव : ____ मुद्रित पुस्तकनी जेम हस्तप्रतना किस्सामां ग्रन्थनाम पृष्ठनो अभाव होय छे. परिणामे कृतिनुं शीर्षक, कर्ता, लेखन वगेरेनी माहिती हस्तप्रतमांथी शोधीने लखवानी रहे छे. सामान्य रीते ग्रन्थान्तेनी प्रशस्तिमां आ प्रकारनी विगतो आपवामां आवे छे. क्वचित ग्रन्थारम्भे पण आ माहितीनो निर्देश करवामां आवे छे. अर्थात् मुद्रित पुस्तकमां आ माहिती तैयार मळी रहे छे, ज्यारे हस्तप्रतना किस्सामा सूचिकरण माटे जरूरी विगतो शोधवानी रहे छे. ४.६ शीर्षकनो अभाव अने समाननामधारी कृतिओ अथवा अक कृतिनां अनेकनाम : क्वचित घणी हस्तप्रतोमां तेना शीर्षकनो निर्देश जोवा मळतो नथी, तो क्वचित समाननामधारी कृतिओनी बहुलता के अक कृतिनां अनेकनामोनी समस्या सूचिकरण माटे प्रश्नो पेदा करे छे. उदाहरण तरीके ब्रह्मसूत्र विविध नामोथी ओळखाय छे, जेमके वेदान्तसूत्र, व्याससूत्र, ब्रह्ममीमांसा, शारीरिक मीमांसा, उत्तरमीमांसा वगेरे. ४.७ क्षेपको : कर्तानी मूळ कृतिओमां अन्यो द्वारा करवामां आवतां उमेरणो - interpolation - थी मूळ पाठ शोधवो कठिन कार्य बनी जाय छे. उदा. तरीके महाभारत, पुराणो वगेरे कोई ओक कर्ताना कृतित्ववाळी रचनाओ रही ज नथी.
SR No.520556
Book TitleAnusandhan 2011 06 SrNo 55
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
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