SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मई २०११ थयो हशे के केम ? कारण के १४मी सदी बादनी पण जे सूचिओ उपलब्ध छे ते सरळ यादीओ समान छे. उदा. तरीके १७मी सदीना बनारसना पण्डित सर्वविद्यानिधान कविन्द्राचार्यनुं सूचिपत्र (संपा. आर.ओ. शास्त्री, गा. ओ. सि. १७, १९२१), मुनि पुण्यविजयजीओ शोधेल जेसलमेरना ज्ञानभण्डारनी ई.स. १७५२नी टीप- सूचि, डॉ. के.वी. शर्मा (अडियार) अ तेमना लेख 'Manuscripts Repositories in Kerala' मां मध्यकालीन समयनां हस्तप्रतोनां केटलांक सूचिपत्रो केराला युनिवर्सिटी मेन्युस्क्रिप्ट्स लाईब्रेरीमां उपलब्ध छे तेनी विगतो साथे चर्चा करी छे. १२१ भारतमां पाचीन-मध्ययुगीन समयनां नहिवत मात्रामां प्राप्त सूचिपत्रोना आधारे मल्लिनाथी सूत्र ‘नाऽमूलं लिख्यते किञ्चित्'ने ध्याने लई नोंधवुं रह्युं के भारते आ समय दरम्यान हस्तप्रतोना सूचिकरण क्षेत्रे कोइ नोंधपात्र प्रगति करी नहीं होय तेम प्रतीत थाय छे. आम छतां, प्रस्तुत विषय सन्दर्भे मुनि भगवन्त पुण्यविजयजी महाराज साहेबनो आशावाद द्रष्टव्य बनी रहे छे : “प्राचीन समयमां ज्ञानभण्डारोनी टीपो ओटले के पुस्तकनी यादी केवा रूपमां थती हशे अ जाणवानुं आपणी पासे खास कशुं ज साधन नथी; तेम छतां लगभग बसो-त्रणसो वर्ष पहेलांनी जे प्राचीन टीपो जोवामां आवी छे से उपरथी ओटलुं अनुमान थई शके छे के आजकाल जेवी विशद टीपो थाय छे - अर्थात् अमां जेम दाबडानो नंबर, प्रतनो नंबर, ग्रन्थनाम, पत्रसंख्या, भाषा, कर्ता, रचनासंवत, लेखनसंवत, विषय, ग्रन्थनी लंबाई - पहोळाई वगेरेनी माहिती आपवामां आवे छे - तेवी नहोती ज थती. ओ टीपोमां मात्र दाबडो, प्रतनो नंबर, ग्रन्थनाम, पत्रसंख्या अने कोई कोई वार ग्रन्थकारनुं नाम ओटलुं ज नोंधवामां आवतुं. अहीं ओक वात स्पष्ट करवी उचित जणाय छे के आजकाल जेवी विशद टीपो थाय छे तेवी टीपो जूना जमानामां नहि ज थती होय अथवा आ जानो कोईने सर्वथा ख्याल सरखोये नहि होय ओम मानवाने कशुं ज कारण नथी. ७ आपणे सौ जाणीओ छीओ के भारत विश्वनी प्राचीनतम ५ संस्कृतिओ पैकीनो ओक देश छे. अन्य प्राचीन संस्कृतिओमां अने त्यारबाद युरोपमां प्रस्तुत विषय सन्दर्भे थयेल विकास अने उपलब्ध प्रमाणोना आधारे भारतमां सूचिकरण
SR No.520556
Book TitleAnusandhan 2011 06 SrNo 55
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy