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________________ ११८ अनुसन्धान-५५ उपभोक्ताने प्रवेशनी अनुमति आपवामां आवती न होवाथी रुबरुमां आवनाराओओ तेमज दूरना उपभोक्ताओओ इच्छित हस्तप्रतनी पसंदगी करवा माटे सूचिपत्रनो आधार लेवानो होवाथी विविध प्रकारना उपभोक्ताओनी मांग संतोषी शके ते रीते तैयार करवू जरुरी बनी रहे छे. मुद्रित पुस्तकनी तुलनामे हस्तप्रतनी केटलीक आगवी खासियतो छे के जे कोई हस्तप्रतनी शोध माटे महत्त्वपूर्ण घटक तरीकेनी भूमिका अदा करता होवाथी हस्तप्रतोनुं सूचिकरण करतां प्रत्येक घटकने ध्याने लेवो जरूरी बनी रहे छे. कोई अंक हस्तप्रतना कर्ता, शीर्षक के विषय उपरान्त टीकाकार, भाषा, हस्तप्रत लेखन- माध्यम, हस्तप्रतनुं माप, लेखन-समय, पूर्ण के अपूर्ण, हस्तप्रतनी स्थिति, लिपि, लिपिकर्ता, आदि-अन्त अने प्रशस्ति वगेरे बाबतोनो हस्तप्रतना सूचिकरणमा समावेश करवो जोइओ. Ricci अने Wilsonओ हस्तप्रत सूचिकरणना हेतुओ दर्शावतां Frezje To "To provide descriptions complete enough to identify each manuscript for all time, avoiding thereby all possible confusion with others copies of the same text, and providing adequate data for serch if the manuscript be lost or stolen.”R संक्षेपमा प्रत्येक हस्तप्रतनी आगवी विशेषताओने ध्याने लेतां सूचिकारे ओक ज कर्तानी एक ज कृतिनी अकथी वधु नकलोनू सूचिकरण करतां प्रत्येक नकल ओक बीजाथी अलग रीते ओळखी शकाय ते रीते हस्तप्रत सम्बन्धी विविध विगतोनो समावेश करी तेनी नोंध करवी जोइओ. मुद्रित पुस्तकना किस्सामां कोई ओक ज कर्तानी कोई ओक कृतिनी कोई अक आवृत्तिनी बधी नकलो समान होय छे, परन्तु हस्तप्रतना किस्सामां आ बाबत शक्य नथी. ओक ज कृतिनी नकलो लिपि, लेखनकला, लिपिकार, लेखनसमय, लेखन-माध्यम, सचित्रता, क्षेपक, होशियामां नोंधो, हस्तप्रतना स्थानान्तरणोनो इतिहास, लहियानी प्रशस्ति वगेरेनी द्रष्टिो ओक बीजाथी स्वाभाविक रीते ज भिन्न होय छे, जे ध्याने लेवू रह्यु. __सामान्यतः हस्तप्रतोनां सूचिपत्रो (Catalogue) कृति ओळखनाराओने ध्याने लइने तैयार करवामां आवे छे. अर्थात् कृति खोळनाराओनी जरूरियातो पूरी पाडे तेवां होय छे. परंतु ते ध्याने लेवू रह्यु के हस्तप्रतोनां सूचिपत्रो
SR No.520556
Book TitleAnusandhan 2011 06 SrNo 55
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages158
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
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