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अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२
फर्यो. आ राजा कुमारपाळने शैवमतमाथी जैनमतमां लाववामां हेमचन्द्र फतेह पाम्या हता. जे विषे तो कशो पण शक नथी.
आ तमारी कॉलेजना आ दीवानखानामां ज पुस्तकोना संग्रहमां ओक पुस्तक पडेलुं छे के जेमां कुमारपाळ राजाओ कये वर्षे ने कये दिवसे जैनमत स्वीकार्यो ते सघळु आपवामां आवेलुं छे. ख्रिस्ती लोकोना ‘पीलग्रीम्स प्रोग्रेस' नामना पुस्तकनी पेठे अलङ्कारमा कुमारपाळ राजा जैनमतमां दाखल थया तेनी विगत आपवामां आवी छे. ने तेनुं नाम 'मोहपराजय' ओ प्रमाणेनुं छे. हेमचन्द्रने लगता इतिहास पर अजवाळु नाखनारां पुस्तकोमां आ पुस्तक जूनामां जूनुं छे. ओ पुस्तकनो कर्ता यशोपाळ, कुमारपाळ राजानी पछी पाटणनी गादी पर बेसनार अजयपाळ राजानो प्रधान हतो. आ मोहपराजय नाटकमां कुमारपाळ राजाने धर्मराजा तथा विरति देवीनी पुत्री कृपासुन्दरी साथे लग्न करतो वर्णवामां आव्यो छे. ने महावीरनी पोतानी हाजरीमा हेमचन्द्र आ जोडाना लग्न करावे छे. जैनमतनी जीतने लगता ओ बनावनी तिथि संवत १२१६ना मागसर सुद२नी आपवामां आवी छे. अटले कुमारपाळ राजाओ ख्रिस्ती वर्ष ११६०मां जैनमत स्वीकार्यो हतो अम जणाय छे. ओ तिथि खोटी होय ओम मानवाने कंइ कारण नथी. केमके आ पुस्तक, जेमां सघळी विगत आपवामां आवी छे ते ई.स. ११७३ ने ई.स. ११७६नी वचमां अटले के ए बनाव पछी सोळ वर्षनी अंदर लखायेलुं होवू जोइओ ओम लागे छे.
कुमारपाळ राजा जैनमतमां दाखल थया तेने लगती वात विषे अत्रे नोंध लेवानी जरूर आपणने अटला माटे पडी छे के जैनमत पर कुमारपाळ राजानी छेवटनी श्रद्धा बेसाडवा माटे हेमचन्द्रे योगशास्त्र नामनुं पुस्तक जे लख्यु हतुं, ओ पुस्तक विषे आगळ हुं तमारी हजुर केटलुक विवेचन करवानुं धारूं छु. आ योगशास्त्रनुं हस्तलिखित पुस्तक जे खम्भातमां जैन देवालयमां कोइना वांच्या वगर पडी रहेलुं छे, ते संवत १२५१मां (ख्रिस्ती वर्ष ११९५मां) ओटले हेमचन्द्र देवलोक पाम्या पछी वीश वर्षनी अंदर लखायेलुं छे.
आ योगशास्त्र विषे विवेचन करवानुं शरु कर्या पहेला हेमचन्द्रनी जिंदगीने लगती बीजी जाणवाजोग बाबतो अत्रे ज जणावी दइशं. कुमारपाळ राजाना दरबारमा हेमचन्द्रे पोतानो पग वधारी लीधेलो जोइ तथा राजानो बापीको