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________________ अनुसन्धान - ५४ श्री हेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - २ प्राचीनतम शिलालेख छे. अभिलेखनो आरम्भ ज जैनधर्मना ओळख - मन्त्र नमो अरहंतान ( । ) नमो सवसिधानं ( | ) थी थाय छे. अने प्रथम पंक्तिमां तेने अर्थात् खारवेलने 'महामेघवाहनेन' कह्यो छे. आ ओक सर्वोच्च बिरुद होवानुं मनाय छे. महामेघवाहन अर्थात् जेनुं वाहन महामेघ अर्थात् महान राजकीय हाथी छे ते. आ शब्दार्थना आधारे तेनो सूचितार्थ 'इन्द्र' थतो होवानुं तद्विदोनुं मानवुं छे. केमके हाथी (ऐरावत) इन्द्रनुं वाहन छे. डॉ. वेणीमाधव बरुआना मते प्रस्तुत लेखनी १६मी पंक्तिमा 'इन्द्रराज 'नो शब्दप्रयोग थयेल होई खारवेलनी तुलना इन्द्र साथे कराई होवानुं मनाय छे. परंतु, डॉ. काशीप्रसाद जयस्वाल अने डॉ. दिनेशचन्द्र सरकार 'इन्द्रराज' शब्दना बदले 'भिक्षुराज' होवानुं नोंधे छे जे उपयुक्त पण छे. १३६ अभिलेखनो समय : प्रस्तुत अभिलेख अक शासक (खारवेल)ना जीवन- प्रशासननी ऐतिहासिक घटनाओ दर्शावतो भारतनो सर्वप्रथम अभिलेख होवा छतां तेना अने तेमां उल्लेखित शासक - खारवेलनी निश्चित समय - तिथिनो प्रश्न अद्यापि उकल्यो नथी. विभिन्न पुराविदो - इतिविदो विभिन्न स्वरूपे पोत - पोताना दृष्टिकोणथी तेने स्पष्ट करवाना प्रयत्न अवश्य कर्यां छे. जेने नोंधीओ : डॉ. काशीप्रसाद जयस्वाले अभिलेखमां उल्लेखित बहसति मिति (बृहस्पति मित्र) ते पुष्पमित्र होवानुं जणावे छे. ते अन्तिम मौर्य राजा बृहद्रथनो सेनापति हतो, अने प्रथम शुंग सम्राट हतो. ते लगभग ईस. पूर्वे १८४ दरम्यान शासन करतो हतो. आना आधारे डॉ. जयस्वाल खारवेलनो समय ईसू पूर्वेनी बीजी सदी निर्धारे छे. डॉ. जयस्वाल अभिलेखनी १६मी पंक्तिनुं वाचन आ प्रमाणे करे छे : 'पानंतरीय सथि -वस-सते - राज- मुरिय काले वोच्छिने'. आना आधारे ते खारवेलनो समय मौर्यकालनुं १६५ वर्ष निश्चित करे छे. १ विन्सेन्ट स्मिथनुं पण ओमज मानवुं छे के कलिंगाधिपति खारवेले हाथीगुफा अभिलेखमां जेने ‘बृहस्पतिमित' कहेल छे ते पुष्यमित्रने अमणे पराजित कर्यो हतो. डॉ. स्टेन कोनो, अच.सी. रायचौधरी व. पण आ मतना छे. परंतु डॊ. जयस्वाल-निदर्शित पाठनी वाचना हवे आ प्रमाणे कराई छे : 'पानतरीय-सत - सहसेदि' अर्थात् पांच लाख मुद्राओ अर्हतो (जैन १. जर्नल ऑफ बिहार-ओडिसा रिसर्च सोसायटी, अंक-४, भाग-४, पृ. ३९४
SR No.520555
Book TitleAnusandhan 2011 02 SrNo 54
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2011
Total Pages209
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size2 MB
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