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फेब्रुआरी २०११
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Researches : Vol. 15मां प्रकाशित करी. आ पछी अम. किटटो (M. Kittoe) ओ तेनी वधु साची वाचना तैयार करी. जेने १८३७मां जेम्स प्रिन्सेपे मनमान्या पाठ - अनुवाद साथे तेना Corpus Inscription Indicarum मां प्रकाशित करी. आ तेनो प्रथम अनुवाद. १८८५मां पण्डित भगवानलाल इन्द्रजीओ स्थळ पर ज तेनी अेक प्रतिलिपि तैयार करी अने १८८६मां छठ्ठा प्राच्यविद्याविदोना आन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन दरम्यान प्रसिद्ध स्मारिका (सुवेनियर)मां सानुवाद पाठ प्रसिद्ध थयो. आ पाठ १९१० सुधी प्रमाणिक मनातो रहतो. वच्चे १८७७मां अ. कनिंगहामे पण तेनी ओक शिलामुद्रणीय छाप प्रकाशित करी. राजा राजेन्द्रलाल मित्रे १८८०मां तेना प्रख्यात ग्रन्थ 'Antiquities of Orissa' मां सानुवाद पाठ प्रसिद्ध कर्यो. परंतु आ बधा प्रयत्न अधिकृत न हता. १९०६मां टी.एच.ब्लोख (Bloch)ना निदर्शनमां आ शिलालेखनी वधु ओक शाही-छाप तैयार करावी डॉ. कीलहॉर्नने मोकलाई. १९१०मां लूडर्से पण आनो सारांश प्रकाशित कर्यो. ओमणे आ लेखने तिथिविहीन बताव्यो. आ ज वर्षे डॉ. जहाँन फ्लीटे पण अभिलेखनी बे संक्षिप्त नोंध प्रकाशित करी. अमणे लेखना पाठमां केटलाक सुधारा सूचव्या. १९१३मां राखालदास बेनरजीओ स्थळ-तपास-निरीक्षण करी तिथियुक्त विवादास्पद पाठ- परीक्षण कयें. १९१७मां डॉ. कालिदास नाग साथे ओमणे स्थळनी पुनः मुलाकात ळई अभिलेखनी बे शाही-छाप तैयार करी. आ समय दरम्यान डॉ. काशीप्रसाद जयस्वाले पण प्रस्तुत अभिलेखनो अक पाठ प्रकाशित को. (जर्नल ऑफ बिहार - उडिसा रिसर्च सोसायटी, १९१७). १९१८मां ओमणे स्थळनी पुनः मुलाकात लई बीजो ओक संशोधित पाठ तैयार करी प्रसिद्ध कर्यो. (ज. ऑफ बि.उ. रि.सो. : १९१८) १९१९मां डॉ. जयस्वाल अने राखालदास बेनरजीओ संयुक्त रीते अकवार स्थळ-तपास-निरीक्षण-परीक्षण करी प्रत्येक अक्षर, झीणवटभर्यु परीक्षण कर्यु. ओ बन्ने विद्वानोले १९२४ अने १९२७मां लीधेल छापोना आधारे अभिलेखनी ओक अन्तिम वाचना तैयार करी जे सानुवाद १९२७मां ज.बि.उ.रि.ओ १९२७मां प्रकाशित थई. आ पछी पण अनेक विद्वानोओ आनी वाचनाअनुवाद-विवेचन करेल छे.
ब्राह्मी लिपि अने पालि साथे मळती प्राकृतभाषामां गद्यमां उत्कीर्ण प्रस्तुत अभिलेख, सविशेष महत्त्व ओ छे के ते जैनधर्मनो उल्लेख करनार