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________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ २. अनेकार्थसङ्ग्रह आ सङ्ग्रहमां ओक शब्दना अनेक अर्थो आप्या होई, तेने अनेकार्थसङ्ग्रह नाम अपायुं छे. ३. देशीनाममाला आमां लोकव्यवहारमा प्रचलित अनेक शब्दोनो सङ्ग्रह थयेलो छे. ४. निघण्टुकोष आमां वैदकने लगता शब्दोनो सङ्ग्रह छे. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र आ ग्रन्थमां शीर्षक बतावे छे तेम कुल त्रेसठ महामानवोनां जीवनचरित्रो अपायां छे. अहीं आपेला महामानवोमां तीर्थंकरो, वासुदेवो, प्रतिवासुदेवो वगेरेनो समावेश थाय छे. आमां अनेक आख्यानो अपायां छे. उपरांत तेमां कुमारपाळ विषेनी केटलीक विगत मळती होवाथी तेनुं आंशिक रीते ऐतिहासिक मूल्य होवा, पण गणावी शकाय. हेमचन्द्राचार्यनी कवित्वशक्ति पण आ ग्रन्थमां जोवा मळे छे. अहीं तेमना मुख्य मुख्य ग्रन्थोनी नामावलि ज आपी छे, केमके हेमचन्द्राचार्यना जीवनचरित्रनुं निरूपण करवानो आ लेखनो हेतु नथी. आचार्यना रचेला श्लोकोनी संख्या विषे भारे अतिशयोक्तिओ थयेली छे ते प्रत्ये मुनिश्री जिनविजयजी अने मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजे ध्यान (जुओ, हेमचन्द्राचार्य,त्रीजी आवृत्ति १९८२, पृ. १५०-१५१, श्री धूमकेतु- सम्पादन) दोरेलुं छे. अमारा हेमचन्द्राचार्यना खूब ज सीमित अक्षर परिचयथी अम लागे छे के तेमना समस्त साहित्यनु संस्कृत-प्राकृतना ऊंडा अभ्यासी अने निष्ठावान तथा साम्प्रदायिकताथी पर ओवा विद्वान द्वारा परामर्शन कराव्या बाद, ओ महामानवने आजना सन्दर्भमां मूलवता प्रकाशननी ताती जरूर छे. __आचार्यश्रीना जीवननी, आ लेखना सन्दर्भमां जरूरी छे तेटला पुरती झांखी कर्या बाद, हवे तेमना, युनिवर्सिटी ग्रन्थनिर्माण बोर्ड, अमदावाद, १९७४, द्वारा प्रकाशित, अने पण्डित बेचरदास जीवराज दोशी सम्पादित देशीशब्दसङ्ग्रहनो परिचय करीओ.
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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