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________________ १६ [द्वादस ] द्वादशन्, त्रयोदशन्, चतुर्दशन्, पञ्चदशन्, षोडशन्, सप्तदशन् [अठारस] अष्टादशन् गुणीस - एकोनविंशति विंशति वीस एकोनत्रिंशत् त्रीस – त्रिंशत् एगुणचाली - एकोनचत्वारिंशत् च्यालीस - चत्वारिंशत् पंचास साठि सत्तर असी ऊ नवतिः सु-शति (शत) ब द्वितीय त्रीजु - तृतीय चुथु – चतुर्थ पाचमु पञ्चम छठउ षष्ट सप्तम - - - - 1 - पञ्चाशत् षष्ठि सप्ततिः अशीतिः सातमु आठमु नवमु दशमु इग्यारमु एकादशम इत्यादि उरइ-परइ इतस्ततः भावइतिहां (?) अष्टम अनुसन्धान - ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ किहांनु - कुतः, कस्मात् कांइ किम् वली पुनः पणि परम् मुडमुड नवम दशम - यतस्ततः - मन्दं मन्दम्, शनी शनी (शनै: शनैः) गाढइं गाढम् लांबु प्रलम्ब, दीर्घ टुंकु - तुच्छ, ह्रस्व मोटउ महान् जाडउ - स्थूल, उपचित, प्रत्यन (ल?) दुबलु दुर्बल, कृश सोभागीउ – सौभाग्यवान् रलियामणुं - रतिजनकम् उदेगामणुं - उद्वेगजनकम् अबाडू प्रतिकूल सवाडूउ सानुकूल डाउ दक्ष भोलु – मुग्ध ऊचु – ऊचीस्थर (उच्चैस्तरम्) नीच - नीचीस्थर (नीचैस्तरम्) अधिक अग्रेवाण पछेवाण चुकवटु उछउ हीन अरत-परत-बापसदृश आकृत्या प्रकृत्या [पि]तृसदृश अग्रानीक पश्चा[द]नीक चतुःकपपट(चतुष्कपट्ट)
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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