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________________ डिसेम्बर २०१० संस्कृत शब्दोना प्राकृत - अपभ्रष्ट रूपो बनाववानी / बनवानी प्रक्रिया प्राकृत-अपभ्रंश व्याकरणोमां सविस्तर वर्णववामां आवी छे. संस्कृत - प्राकृतभाषासाहित्यना विशिष्ट अभ्यासीओ तो आ व्याकरणोनो अभ्यास करीने उक्त प्रक्रियाने जाणी - समजी शके छे. परन्तु, जे लोकोने सामान्यथी ज देश्यभाषा अने संस्कृतभाषानुं साम्य/ वैषम्य जाणवुं होय, तथा जे देश्यशब्द लोकबोलीना कारणे मूळ संस्कृतरूप करता जुदो थई गयो होय तेनुं संस्कृत प्रतिरूप शुं होई शके ते जाणवुं होय, तेमने संक्षेपमां ज बोध कराववा माटे पूर्वकालीन विद्वानोए आ औक्तिकसंज्ञावाळा ग्रन्थोनी रचना करी छे. ११ आ ग्रन्थोमां अद्यावधि उपलब्ध प्राचीनतम ग्रन्थ छे बनारसना दामोदर पंडित विरचित उक्ति-व्यक्तिप्रकरण (सिंघी जैन ग्रन्थमालामां प्रकाशित). तेनी रचना विक्रमनी १२मी सदीना अन्तभागमां थई होय तेवुं संभवे छे. आ ग्रन्थमां, ते काळे बनारस - जनपदमां प्रचलित देश्यभाषानो व्याकरण दृष्टि संस्कृतभाषा साथे केवो सम्बन्ध छे - अने देश्यशब्दोने संस्कार करवाथी संस्कृतनुं शुद्धरूप कई रीते बने छे ते विस्तारपूर्वक वर्णववामां आव्युं छे. तत्कालीन लोकभाषानी लोकरूढ उक्तिओ अने शब्दप्रयोगो द्वारा संस्कृत व्याकरणनुं आधारभूत स्थूलज्ञान सहेलाईथी मेळवी शकाय छे, तेवुं दामोदर पण्डित आ ग्रन्थमां सविस्तर प्रतिपादन करे छे. आ ग्रन्थ पछी पण आ ज विषयना अने आवी ज शैलीमां रचायेला घणा नाना-मोटा ग्रन्थो अनेक ज्ञानभण्डारोमां प्राप्त थाय छे. एमांथी अद्यावधि उक्तिरत्नाकर, उक्तीयक, औक्तिकपदानि, मुग्धावबोध - औक्तिक (कुलमण्डनसूरिविरचित) व. पुरातन रचनाओ प्रकाशित थयेल छे. ते ज क्रममां आ उगतीय (उक्तीय) शब्दसंस्कार नामनो ग्रन्थ पण आजे अनुसन्धानना माध्यमथी प्रकाशित थई रह्यो छे. आ ग्रन्थमां प्रारम्भे (नव पत्रो सुधी) शब्दसंग्रह आपवामां आव्यो छे. ते पछी कृदन्तसाधित शब्दोमां कर्मणि भूतकृदन्त, कर्तरि वर्तमानकृदन्त, सम्बन्धक भूतकृदन्त, कर्मणि वर्तमानकृदन्त, हेत्वर्थ कृदन्त आ क्रमे संग्रह करवामां आव्यो छे. ते पछी इच्छादर्शक (सन्नन्त) कृदन्तो, आज्ञार्थक क्रियापदो, अकर्मक धातुओ, द्विकर्मक धातुओ, वीस उपसर्गो व नो संग्रह छे. अन्ते छए कारकोनुं भेद तथा उदाहरण -
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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