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________________ १३४ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ गुरु के नाम का उल्लेख नहीं किया है, जो कि यथार्थ प्रतीत नहीं होता है। त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित के १०वें पर्व की प्रशस्ति में हेमचन्द्र ने अपने गुरु का स्पष्ट नामोल्लेख किया है । प्रभावक चरित्र एवं कुमारपाल प्रबन्ध के अनुसार हेमचन्द्र के गुरु देवचन्द्रसूरि ही थे। विन्टरनित्ज महोदय ने मलधारी अभयदेवसूरि के शिष्य हेमचन्द्र का उल्लेख किया है । (ए हिस्ट्री आफ इण्डियन लिटरेचर विन्टरनित्ज, वाल्यूम टू, पृष्ठ ४८२-४८३) । डॉ० सतीश चन्द्र (दी हिस्ट्री आफ इण्डियन लाजिक, पृष्ठ १०५)ने आचार्य हेमचन्द्र को प्रद्युम्नसूरि का गुरुबन्धु लिखा है । उत्पादादि सिद्धि प्रकरण टीका में चन्द्रसेन ने हेमचन्द्र के गुरु का नाम देवचन्द्रसूरि ही लिखा है । अतः यह स्पष्ट है कि हेमचन्द्र के गुरु का नाम देवचन्द्रसूरि ही था । देवचन्द्र ही इनके दीक्षा गुरु, शिक्षा गुरु एवं विद्या गुरु थे। यह सम्भव है कि उन्होंने अन्य विद्याओं का अध्ययन अन्यत्र भी किया हो । प्रबन्ध चिन्तामणि के अनुसार हेमचन्द्र ने अपने गुरु से स्वर्णसिद्धि का रहस्य पूछा था, गुरु ने नहीं बताया था । सरस्वती की आराधना __प्रभावक चरित्र के अनुसार ब्राह्मीदेवी जो कि विद्या की अधीष्ठात्री देवी है की आराधना के लिए काश्मीर जाने का विचार किया था । मार्ग में ताम्रलिप्ति (खम्भात) होते हुए जब रैवन्तगिरि पर पहुचे तो हेमचन्द्र को यह स्थान पसन्द आया और उन्होंने प्रबन्ध चिन्तामणि के अनुसार वहीं आराधना करने का मानस बनाया । हेमचन्द्र वहीं उपासना करने लगे और माता सरस्वती उनके सन्मुख प्रकट होकर कहने लगी - हे पुत्र ! तुम्हारी समस्त मनोकामनाए, पूर्ण होंगी । समस्त वादीगणों को पराजित करने की क्षमता तुम्हें प्राप्त होगी । यह सरस्वती देवी का वरदान सुनकर वे प्रसन्न हुए और काश्मीर यात्रा पर नहीं गए । इस प्रकार शारदा की कृपा से वे सिद्धसारस्वत बन गए और उनमें 'शतसहस्रपद' धारण करने की शक्ति प्रकट हुई । सिद्धराज जयसिंह से सम्बन्ध ___ महाराजा सिद्धराज जयसिंह इतिहास प्रसिद्ध और समग्र दृष्टियों से राजनीति का धुरन्धर माना जाता था । आचार्य हेमचन्द्र का सम्बन्ध सिद्धराज
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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