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________________ डिसेम्बर २०१० १०३ (२) विंशतिप्रकाश (३) महादेव स्तोत्र (४) श्री अर्हन्नामसहस्र - समुच्चय (सिद्धसहस्रनामस्तोत्र) (५) अन्ययोग-व्यवच्छेद द्वात्रिंशिका (६) अयोग-व्यवच्छेद द्वात्रिंशिका. नो समावेश थाय छे. आ दरेक स्तोत्रनो ट्रंक परिचय आ मुजब छे. ( १ ) सकलार्हत् स्तोत्र : आ स्तोत्रनुं नाम तेना प्रथम श्लोकना प्रथम पद सकलार्हत् परथी राखवामां आव्युं छे. तेनुं अन्य नाम बृहच्चैत्यवन्दन प्राप्त थाय छे. अहीं कुल ३३ पद्योनो' समावेश थयो छे. जेने 'त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र'ना आरम्भमां स्थान मळ्युं छे. आ ओक माङ्गलिक स्तोत्र छे. जैनोना प्रतिक्रमणना आरम्भमां आ स्तोत्रनो पाठ करवामां आवे छे. (वीतरागस्तोत्र) स्तोत्रना प्रारम्भमां आवेली बे गाथामां अर्हंतपणाने नमस्कार करवामां आव्यां छे; कारण के अर्हतत्वथी ज अरिहंत ओळखाय छे. त्यार बादनी गाथाओमां चोवीस तीर्थंकर प्रभुने क्रमशः वर्णवाया छे. जेमां तीर्थंकर परमात्मानी विशेषताओ, अतिशयताओ, विलक्षणताओनो उल्लेख करवामां आव्यो छे. प्रत्येक गाथामां प्रत्येक परमात्मानी भिन्न-भिन्न आयामथी स्तुति करवामां आवी छे. आ स्तोत्र पर त्रण टीकाओ रचाई छे. आ स्तोत्रनो गूर्जरगिरामां पद्यानुवाद -गद्यानुवाद- विवेचन पुष्कळ प्रमाणमां प्राप्त थाय छे. ( २ ) वीतरागस्तोत्र : आ संस्कृत साहित्यनुं उत्तम भक्तिस्तोत्र छे. आचार्य श्रीना भक्तहृदयनी उत्कटता अहीं प्रगट थाय छे. आ स्तोत्र वीस भागमां वहेंचायेल होवाथी “विंशतिप्रकाश” तरीके ओळखाय छे. आ स्तोत्रमां कुल २० स्तवो, दरेकमां अधिकांश ८-८ श्लोक छे कुल १८६ पद्यनो समावेश थयो छे. आ स्तोत्रमां विषय- वैविध्य पुष्कळ छे. जेमां १. खरेखर २६ पद्यो छे. सं.
SR No.520554
Book TitleAnusandhan 2010 12 SrNo 53
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages187
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size845 KB
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