________________
सप्टेम्बर २०१०
॥ अथ दहीके ५ निवायते लिखें हैं ||
कूरमांहि दधि भेलकै, भक्ष्यण २३ कर अविलंब, निवायतौ दघिनौ प्रथम, नामें दहीं करंब २४ हस्तमथित रस मधुरयुत, जो दधि कियो तयार दूजो दही निवायतो, नाम शिखरणी २५ सार वडे२६ सहित दधिकूं कह्यो, घोलवडा इण नाम, कपडछाण दधिनें सुण्यो, घोल२७ नाम गुणधाम लूण भिल्यौ करसें मिल्यौ, किसमिस प्रमुख मिलाय, दही तणौ ए रायतौ, दधिरायतौ कहाय
॥ अथ घी के ५ निवायते कहे छे । कृतपकवान अनंतरै, जल्यौ रहयौ घृत शेष, निर्भंजन" नामें कह्यो, धृतनौ भेद विशेष घृतनौ द्वितिय निवायतौ, विस्पंदन९ अभिधान, छाछमांहि कण घी तणा, ग्रहण करौ पहिचान घृतपक औषधि उपरै, घृततिर बालै रूप, सर्पि इसै नामें सुण्यौ, पपडी तणै स्वरूप किट्टक घृतनौ मेल है, घृतमल कहियै तेण पांचूं घृतमांहे अधम, भक्ष्याण कीयौ केण औषधिपुट दैणै करी, औषधिको घी होय, तेहनै कहियै पक्वघृत, घृतको स्वाद न कोय
॥ अथ तेलका ५ निवाते लिख्यते ॥ तिलमलिका नामें कहयौ, तेल तणौ जे मेल, तिलकुटी(ट्टी) तिल कूटकै, मांहे मीठो भेल दग्ध तैल घृतनी परै, निर्भंजन कह्यो तेह, पक्वोषधि ऊपरि रहै, नामें तरिका नेह लक्ष ओषधी भेलकै, तेल कियौ जु तयार, लक्षपाकर नांमै कहयों, सर्व रोग उपचार
२८
२९
३०
३१
३२
३३
३४
३५
३६
३७
३८
३९
६७