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अनुसन्धान ५२
ट्रंक नोंध
'शान्तिनाथना पद विषे.... 'शान्ति जिनेश्वर साचो साहिब' एवा मुखडाथी शरु थतुं एक पद (स्तवन) समग्र जैन समुदायमां अतिशय चलणी छे. भाग्ये ज कोई जैन हशे जेने आ पद न आवडतुं होय. परन्तु तेनी खरी वाचना करतां चलणी वाचनामां थोडोक पण नोंधपात्र फेर छे. मूळ पद जूनी मारवाडी मिश्रित हिन्दी भाषामां छे. प्रचलित पाठ केटलेक अंशे गुजरातीकरण पाम्यो छे. अहीं बन्ने वाचना
जोईशुं.
प्रचलित वाचना शान्ति जिनेश्वर साचो साहिब, शान्तिकरण इण कलिमें हो जिनजी
तुं मेरा मनमें तु मेरा दिलमें, ध्यान धरूं पल पल में साहिबजी....१ निर्मल ज्योत वदन पर सोहे, निकस्यो ज्युं चंद बादल में हो....
भवमां भमतां में दरिशन पायो, आशा पूरो एक पलमें हो.... २ मेरो मन तुम साथे लीनो, मीन वसे ज्युं जलमें हो..... जिनरंग कहे प्रभु शान्तिजिनेश्वर, दीठो जी देव सकल में हो.... ३
हस्तप्रति-प्राप्त प्राचीन वाचना
शान्तिनाथ गीत तूं मेरइ दिलमइ तूं मेरे दिलमइ, नाम जपूं पल पल मैं ।। शांति जिणेसर साचो साहिब, शान्तिकरण इणि कलि मैं ॥ तूं. १ ॥ निरमल ज्योति वदन तुझ सोभत, मानुं निकस्यौ चंद वदल मैं । भवमइं भमतां दरसण पायौ, ईख ऊग्गी जाणै थल मैं ॥ तूं. २ ॥ मेरो मन तुम सेती लीनउ, मीन वसत जिम जल मइं । रंगविजय प्रभु सुरतरू तूं ही, देख्यो देव सकल मई ॥ तूं. ३ ॥ इति श्री शान्तिनाथ गीतम्
(जिनरङ्गसूरि ग्रन्थावली)